ऑनलाइन रियल-मनी गेमिंग रेवेन्यू पर 28 पर्सेंट टैक्स लगाने के GST काउंसिल के फैसले पर ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां ने ऐतराज जताया है। इन कंपनियों का कहना है कि इससे पूरी ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री खत्म हो जाएगी और रोजगार का भारी नुकसान होगा। रियल मनी गेमिंग इंडस्ट्री बॉडी,
ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन (AIGF) के CEO रोलैंड लैंडर्स ने बताया, 'हमारा मानना है कि GST काउंसिल का यह फैसला अंसवैधानिक, अटपटा और गड़बड़ है। इस फैसले में ऑनलाइन गेमिंग से जुड़ी 60 वर्षों की स्थापित कानूनी मान्यताओं को नजरअंदाज किया गया है।'
AIGF के कुल 150 सदस्य हैं, जिनमें सभी फॉर्मैट और कैटगरी की ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां और गेम डिवेलपर्स शामिल हैं। फेडरेशन के अहम सदस्यों में मोबाइल प्रीमयम लीग (MPL), गेम्सक्राफ्ट, हेड डिजिटल वर्क्स (A23) और ज्यूपी शामिल हैं। लैंडर्स का कहना है कि इस फैसले से कई लाखों लोगों की नौकरियां छिन जाएंगी और राष्ट्र-विरोधी गैर-कानूनी ऑफशोर प्लैटफॉर्म को फायदा होगा। उन्होंने कहा, 'यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस मामले में ज्यादातर राज्यों के जीओएम की राय को नजरअंदाज किया गया, जिन्होंने इस मसले पर विस्तार से अध्ययन किया था।'
गेम्सक्राफ्ट फाउंडर्स में चीफ स्ट्रैटेजी एडवाइजर अमृत किरण सिंह ने बताया, 'सरकार का यह कदम उन सभी प्रयासों पर पानी फेर देगा जो सरकार ने इस इंडस्ट्री को समर्थन देने के लिए उठाए थे। जीएसटी काउंसिल की यह बैठक राष्ट्र हित में नहीं है, क्योंकि इससे भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में मौजूद ज्यादातर सफल कंपनियों का सत्यानाश हो जाएगा। इससे यह भी पता चलता है कि सरकार के अलग-अलग विभागों में तालमेल का अभाव है।
सिंह का यह भी कहना था कि ऑनलाइन गेमिंग पर जरूरत से ज्यादा टैक्स लगाए जाने पर भारतीय गेमिंग कंपनियां दूसरे मुल्कों का रुख कर सकती हैं। उनके मुताबिक, जाहिर तौर पर इससे भारत को मिलने वाला लाभ किसी और देश को मिलने लगेगा। यह खुद से तय किया गया ऐसा लक्ष्य है जिससे भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम को झटका लग सकता है।
ऑनलाइन गेमिंग प्लैटफॉर्म पर फिलहाल 18 पर्सेंट GST है। साल 2022 में देश के गेमिंग सेक्टर से जुड़े रेवेन्यू में रियल-मनी गेमिंग सेगमेंट की हिस्सेदारी 77 पर्सेंट थी। FICCI-EY की रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान भारत का कुल गेमिंग मार्केट 13,500 करोड़ रुपये रहा।