जून में महंगाई दर में मामूली कमी आई है। सरकार ने मंगलवार (12 जुलाई) शाम रिटेल इनफ्लेशन के डेटा जारी किए। जून में खुदरा महंगाई दर में मई के मुकाबले मामूली कमी आई है। जून में रिटेल इनफ्लेशन 7.01 फीसदी रहा। मई में यह 7.04 फीसदी था। लेकिन यह अब भी RBI के टारगेट से ऊपर है।
RBI और केंद्र सरकार की कोशिशों के बावजूद महंगाई दर में ज्यादा कमी नहीं आई है। लगातार छठे महीने खुदरा महंगाई दर (CPI) रिजर्व बैंक के टारगेट से ऊपर है। रिजर्व बैंक ने महंगाई दर के लिए 2-6% तक का टारगेट फिक्स किया है। मई 2022 में खुदरा महंगाई दर 7.04% थी। अप्रैल में महंगाई दर 7.79% रही। मार्च में यह 6.95 फीसदी दर थी।
रिटेल इनफ्लेशन लगातार टारगेट से ऊपर रहने के बाद RBI ने अचानक मई के पहले हफ्ते में रेपो रेट बढ़ा दिया। फिर, उसने जून में भी रेपो रेट में वृद्धि की थी। इससे यह साफ हो गया है कि केंद्रीय बैंक का फोकस तेजी से बढ़ते इनफ्लेशन को कंट्रोल करने पर है। लगातार दो महीने में वृद्धि के बाद रेपो रेट 0.90 फीसदी बढ़ चुका है।
अब दुनियाभर की नजरें अमेरिका की महंगाई दर पर टिकी है। अमेरिकी महंगाई दर के आंकड़े 13 जुलाई को आने वाले हैं। अमेरिका में इनफ्लेशन 40 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। इसे काबू में करने के लिए फेडरल रिजर्व (अमेरिकी केंद्रीय बैंक) इंटरेस्ट रेट में दो बार वृद्धि कर चुका है। माना जा रहा है कि वह आगे भी इंटरेस्ट रेट बढ़ाएगा।
चीन में कोरोनावायरस संक्रमण बढ़ने की वजह से लॉकडाउन की वजह से दुनिया भर के बाजारों में उतारचढ़ाव बना हुआ है। हालांकि अमेरिका में जॉब डेटा उम्मीद से बेहतर आया है। अमेरिकी इकोनॉमी के रिसेशन में जाने के अनुमान के बीच यह अच्छी खबर है। ऐसे में इस बात की पूरी उम्मीद है कि आगे भी फेड रिजर्व इंटरेस्ट रेट बढ़ा सकता है।
देश का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक यानी इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन (IIP) मई में 19.6 फीसदी बढ़ा है, जबकि इसके पिछले महीने अप्रैल में इसमें 7.1 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई थी। नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (NSO) ने मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी।
मई में 19.6 फीसदी की ग्रोथ के साथ यह पिछले एक साल में औद्योगिक उत्पादन में दर्ज की सबसे अधिक ग्रोथ है। पिछले साल यानी मई 2021 में IIP ग्रोथ 27.6 फीसदी दर्ज की गई थी।