हाल ही में कर्नाटक सरकार ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) और पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के साथ सभी लेन-देन बंद करने का फैसला लिया है। इस मामले में आज 15 अगस्त को दोनों बैंकों ने कहा कि वे कर्नाटक सरकार के इस फैसले से आहत हैं और मामले को सुलझाने के लिए राज्य सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं। दोनों सरकारी बैंकों ने अलग-अलग बयान जारी करते हुए यह जानकारी दी। बता दें कि कर्नाटक सरकार ने फंड के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए इन बैंकों में अपने सभी विभागों को अपने खाते बंद करने का आदेश जारी किया है।
एसबीआई ने एक बयान में कहा, "चूंकि मामला अभी विचाराधीन है, इसलिए हम इस समय कोई विशेष टिप्पणी नहीं दे सकते। हालांकि, हम इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने के लिए कर्नाटक सरकार के साथ लगातार बातचीत कर रहे हैं।" इसके अलावा, पीएनबी ने भी इसी तरह का बयान जारी किया। बैंक ने कहा कि इस मामले पर कोई विशेष टिप्पणी करना समझदारी नहीं होगी। पीएनबी ने बयान में कहा, ‘बैंक इस मामले के सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए प्रतिबद्ध है और कर्नाटक सरकार के साथ बातचीत कर रहा है।’
कर्नाटक सरकार ने क्यों लिया यह फैसला?
कर्नाटक सरकार ने 12 अगस्त को अपने सभी विभागों, बोर्डों, निगमों, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों और विश्वविद्यालयों को भारतीय स्टेट बैंक और पंजाब नेशनल बैंक में अपनी सभी जमा और निवेश वापस लेने तथा इन संस्थाओं के साथ किसी भी तरह का कारोबार बंद करने का आदेश दिया। यह आदेश 14 अगस्त को जारी किया गया।
यह आदेश कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (KIADB) द्वारा बैंक कर्मचारियों से जुड़े घोटाले के बाद जमा किए गए 12 करोड़ रुपये को वापस लेने से इनकार करने के बाद आया है। राज्य सरकार ने कहा कि बैंक अधिकारियों के साथ बैठक में कोई नतीजा नहीं निकला और मामला अब न्यायालय में विचाराधीन है।
सर्कुलर में कहा गया कि कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (KSPCB) द्वारा जमा किए गए 10 करोड़ रुपये बैंक अधिकारियों द्वारा किए गए घोटाले के कारण बैंक द्वारा वापस नहीं किए गए हैं। सरकार ने सरकारी संस्थानों को इन दोनों बैंकों में अपने खाते बंद करने और प्रमाणित समापन रिपोर्ट जमा करने और निर्धारित प्रारूप में जमा और निवेश रिपोर्ट का विवरण 20 सितंबर, 2024 तक वित्त विभाग को भेजने का भी निर्देश दिया।