टाटा समूह और एसपी ग्रुप में सुलह के आसार हैं। मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि टाटा ट्रस्ट्स और टाटा संस एसपी ग्रुप को टाटा संस में 4-6 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की इजाजत देने को तैयार हैं। अगर ऐसा होता है तो इससे एसपी ग्रुप के हाथ काफी पैसा आ सकता है, जिसकी अभी उसे काफी जरूरत है। एसपी ग्रुप पर करीब 30,000 करोड़ रुपये का कर्ज है।
टाटा संस में दो गुटों के बीच चल रही रस्साकशी
Tata Sons में पिछले कुछ समय से दो गुटों के बीच रस्साकशी चल रही है। यह मामला सरकार के स्तर तक पहुंच जाने की खबर है। सरकार के कुछ अधिकारी आने वाले दिनों में दिल्ली में टाटा समूह के अधिकारियों से मुलाकात कर सकते हैं। टाटा संस टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी है। इसमें टाटा ट्रस्ट्स की 66 फीसदी हिस्सेदारी है। सरकारी अधिकारियों के साथ होने वाली मुलाकात में टाटा ट्रस्ट्स में चल रही गुटबाजी के साथ टाटा संस की लिस्टिंग के मसले पर चर्चा हो सकती है।
सरकारी अधिकारियों के साथ बातचीत के आसार
टाटा संस के चेयरमैन नोएल टाटा, टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन, वेणु श्रीनिवासन और डेरियस खंबाटा दिल्ली में सरकारी अधिकारियों के साथ बातचीत कर सकते हैं। श्रीनिवासन टाटा संस के बोर्ड के सदस्य हैं। वह टीवीएस मोटर कंपनी के मानद चेयरमैन हैं। खंबाटा वकील हैं और टाटा ट्रस्ट्स के ट्रस्टी हैं। टाटा ट्रस्ट्स में खींचतान को लेकर सरकारी अधिकारियों और टाटा समूह के अधिकारियों के बीच संभावित मीटिंग की खबर पहले इकोनॉमिक टाइम्स ने 6 अक्टूबर को दी थी।
शेयर बायबैक में लग सकता है एक साल का समय
हालांकि अभी इस बारे में अंतिम फैसला नहीं हुआ है। लेकिन, लिक्विडिटी के लिए एक संभावित रास्ता यह हो सकता है कि टाटा संस की लिस्टिंग नहीं होने की स्थिति में टाटा संस को अपने शेयर बायबैक करने दिया जाए। अगर बायबैक के रास्ते पर सहमति बन जाती है तो इस प्रोसेस में एक साल का समय लग सकता है।
एसपी ग्रुप के डिफॉल्ट के पक्ष में नहीं सरकार
सूत्रों के मुताबिक, एसपी ग्रुप की तरफ से लिए गए बड़े कर्ज को देखते हुए सरकार इस मसले में हस्तक्षेप कर सकती है। मामले की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने कहा, "प्राइवेट क्रेडिट फंडों के जरिए कुछ पैसे का इंतजाम किया गया है। सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि इस लोन पर किसी तरह का डिफॉल्ट न हो। सरकार एसपी ग्रुप जैसे प्रतिष्ठित कारोबारी घराने के लोन पर डिफॉल्ट नहीं चाहती है।" इस मामले में टाटा ट्रस्ट्स, टाटा संस, एसपी ग्रुप और मिनिस्ट्री ऑफ फाइनेंस को भेजे ईमेल के जवाब नहीं मिले।
हिस्सेदारी बेचने से एसपी ग्रुप को मिल सकते हैं 9000 करोड़
FY25 के अंत में SP Group पर 55,000-60,000 करोड़ रुपये का कर्ज था। इसमें से 29,000 करोड़ रुपये के कर्ज को रिफाइनेंस कराया गया है। लेकिन, इस रिफाइनेंसिंग की कॉस्ट काफी ज्यादा है। इसलिए एसपी ग्रुप कैश फ्लो के मामले में कुछ राहत चाहती है। इससे उसे अपने बिजनेसेज से जुड़े कामकाज में काफी आसानी होगी। FY25 में एनुअल रिपोर्ट में टाटा संस के नेटवर्थ के आधार पर, हिस्सेदारी बेचने से एसपी ग्रुप को 6,000 से 9,000 करोड़ रुपये मिल सकते हैं। इस मसले से जुड़े एक सीनियर अधिकारी ने यह बताया।
एसपी ग्रुप नहीं बेचेगा अपनी पूरी हिस्सेदारी
अनुमान है कि एसपी ग्रुप टाटा संस में अपनी पूरी 18.4 फीसदी हिस्सेदारी नहीं बेचना चाहेगा। टाटा संस में 12-14 फीसदी हिस्सेदारी बनाए रखने से एसपी ग्रुप को अच्छा डिविडेंड मिलना जारी रहेगा। सूत्र ने बताया कि एसपी ग्रुप के सदस्य डिविडेंड के इस मौके को हाथ नहीं जाने देना चाहते। FY25 में टाटा संस ने अपने शेयरहोल्डर्स को 1,414.51 करोड़ रुपये बतौर डिविडेंड दिए थे।