इंडोनेशिया (Indonesia) ने पॉम ऑयल (Palm Oil) के एक्सपोर्ट पर बैन लगाने का ऐलान किया है, जो गुरुवार से लागू हो गया है। इससे भारत में खाना बनाने में इस्तेमाल होने वाले तेल और पैकेज्ड फूड की कीमतें आने वाले दिनों में बढ़ सकती हैं। इसके अलावा साबुन, शैंपू, नूडल्स, बिस्कुट से लेकर चॉकलेट तक के दामों में भी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती हैं क्योंकि इनको बनाने में Palm Oil का इस्तेमाल कच्चे माल के तौर पर होता है।
पूरी दुनिया का सबसे अधिक Palm Oil का निर्यात इंडोनेशिया करता है। ऐसे में इंडोनेशिया से पाम ऑयल के इंपोर्ट पर बैन लगने से इसकी सप्लाई में कमी आएगी, जिससे इसकी कीमतें दुनिया भर में बढ़ सकती है। Palm Oil की कीमतें बढ़ने से उन उद्योगों की लागत भी बढ़ेगी, जिनमें इस ऑयल का इस्तेमाल कच्चे माल के तौर पर होता है।
भारत दुनिया में पाम ऑयल सहित एडिबल ऑयल का सबसे बड़ा आयातक है। भारत हर साल करीब 1.35 करोड़ एडिबल ऑयल विदेशों से खरीदता है। इसमें से 80 से 85 लाख टन हिस्सा (कुल आयात का 63 फीसदी) पाम ऑयल का है। भारत अपनी जरूरत का करीब 45 फीसदी पाम ऑयल इंडोनेशिया से खरीदता है और बाकी उसके पड़ोसी देश मलेशिया से खरीदा है। मोटे तौर पर भारत हर साल इंडोनेशिया से करीब 40 लाख टन पाम ऑयल खरीदता है।
इंडोनेशिया ने पिछले हफ्ते 22 अप्रैल को पाम ऑयल के एक्सपोर्ट पर बैन लगाने का ऐलान किया था और उसके बाद अगले एक हफ्ते में इसकी कीमत 5 फीसदी बढ़ चुकी है। दुनिया को आने वाले महीनों में पाम ऑयल की सप्लाई में कमी आने का डर है।
स्वास्तिका इन्वेस्टमार्ट के रिसर्च हेड संतोष मीणा ने बताया, "पाम ऑयल और इसके डेरिवेटिव का इस्तेमाल साबुन, शैंपू, बिस्कुट और नूडल्स जैसी रोजोना इस्तेमाल होने वाले कई सामानों में होता है। इसकी कीमतों में बढ़ोतरी का हिंदुस्तान यूनिलीवर, नेस्ले, ब्रिटानिया, गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड, मैरिको लिमिटेड जैसी फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) कंपनियों पर नकारात्मक असर पड़ेगा। इनपुट लागत बढ़ने से फूड आइटम्स, साबुन और दूसरे पर्सनल केयर प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियों के पास अपने उत्पादों के दाम बढ़ाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचेगा।"
बैन के बाद आने वाली चुनौतियों पर बात करते हुए पारले प्रोडक्ट्स के सीनियर कैटेगरी हेड मयंक शाह ने कहा कि सिर्फ फूड कंपनियों पर ही नहीं, बल्कि FMCG सेक्टर की कंपनियों पर भी इसका नकारात्मक असर असर पड़ेगा। उन्होंने कहा, "यह काफी चुनौतीपूर्ण समय होने वाला है।"
ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने एक रिपोर्ट में कहा है कि पाम ऑयल पर बैन से दबाव बढ़ेगा और हिंदुस्तान यूनिलीवर, गोदरेज कंज्यूमर्स, ब्रिटानिया और नेस्ले के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय बन जाएगा। कमोडिटी कंसल्टेंसी फर्म, LMC इंटरनेशनल के चेयरमैन जेम्स फ्राई ने कहा, "इंडोनेशिया के फैसले से न केवल पाम ऑयस की उपलब्धता बल्कि दुनिया भर में वनस्पति तेल की उपलब्धा पर असर पड़ेगा।"
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEI) के चेयरमैन अतुल चतुर्वेदी ने बैन को हैरानी भरा हुए कदम बताया और कहा कि इससे भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया के ग्राहकों को नुकसान होगा। "इससे हमारे घरेलू बाजार पर गंभीर असर पड़ेगा क्योंकि हमारे पाम ऑयल की कुल जरूरत का आधा हिस्सा इंडोनेशिया से आता है और कोई भी इस अंतर को इतना जल्दी नहीं भर सकता है।"
इंडोनेशिया ने क्यों लगाया है बैन?
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने कहा है कि खाने के तेलों के एक्सपोर्ट पर बैन अगले आदेश तक जारी रहेगा। दरअसल, इंडोनेशिया में खाने के तेलों की कीमतें काफी बढ़ गई हैं। इसकी वजह पाम ऑयल की सप्लाई में कमी है। बढ़ती महंगाई को काबू में करने के लिए विडोडो ने एडिबल ऑयल का एक्सपोर्ट रोकने का फैसला किया है।