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क्या Byju's और BCCI में होगा सेटलमेंट? बायजू रवींद्रन के साथ चल रही बातचीत

Byju's Crisis: 29 जुलाई को, NCLAT के ज्यूडिशियल मेंबर शरद कुमार शर्मा ने BCCI की याचिका पर थिंक एंड लर्न को बैंकरप्सी के लिए स्वीकार करने के आदेश को चुनौती देने वाली फाउंडर बायजू रवींद्रन की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।

अपडेटेड Jul 30, 2024 पर 3:25 PM
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NCLAT ने Byju's से जुड़े सभी आवेदनों पर 31 जुलाई को सुनवाई करने पर सहमति जताई है।

Byju's Crisis: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI), एडटेक स्टार्टअप Byju's की पेरेंट कंपनी थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड के साथ अपने विवाद को निपटाने के लिए कंपनी के फाउंडर बायजू रवींद्रन के साथ सेटलमेंट बातचीत के शुरुआती चरण में है। यह जानकारी BCCI ने 30 जुलाई को नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल (NCLAT) को दी। BCCI की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, "मामले की सुनवाई कल हो सकती है, वे बातचीत कर रहे हैं।" इसके बाद NCLAT ने मामले को 31 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया।

Byju's के अमेरिका स्थित ऋणदाताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने NCLAT को बताया कि इनसॉल्वेंसी के आदेश के बाद उनकी याचिका को खत्म कर दिया गया है और वह इस आदेश के खिलाफ अपील करना चाहते हैं। NCLAT ने 31 जुलाई को सभी आवेदनों पर सुनवाई करने पर सहमति जताई।

NCLT ने दिया दिवाला कार्यवाही शुरू करने का फैसला 


NCLT ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को 158.9 करोड़ रुपये का भुगतान न कर पाने के चलते एडटेक स्टार्टटप Byju's के खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू करने का फैसला दिया। स्टार्टअप के पूर्व मैनेजमेंट ने इस फैसले को NCLAT में चुनौती दी है। Byju's ने अतीत में भारतीय क्रिकेट टीम को स्पॉन्सर किया था। स्टार्टअप, BCCI को 158 करोड़ रुपये का स्पॉन्सरशिप बकाया नहीं चुका सका है।

बता दें कि NCLT के इनसॉल्वेंसी आदेश के खिलाफ फाउंडर बायजू रवींद्रन ने 19 जुलाई को कर्नाटक हाईकोर्ट का रुख किया था। लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसके बाद उन्होंने अपनी अपील वापस ले ली।

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29 जुलाई को, NCLAT के ज्यूडिशियल मेंबर शरद कुमार शर्मा ने BCCI की याचिका पर थिंक एंड लर्न को बैंकरप्सी के लिए स्वीकार करने के आदेश को चुनौती देने वाली फाउंडर बायजू रवींद्रन की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। उन्होंने कहा कि वह भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के वरिष्ठ वकील के रूप में अपीयर हो चुके हैं और क्योंकि BCCI इस आदेश का मुख्य लाभार्थी है, इसलिए व इस पर विचार नहीं कर सकते।

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