देश की सबसे अधिक वैल्यूएशन वाली स्टार्टअप बायजूस (Byju's) इस समय कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। पिछले हफ्ते इसके बोर्ड के 3 सदस्यों और ऑडिटर डेलॉयट (Deloitte) ने कंपनी से इस्तीफा दे दिया। इस घटना के बाद कर्मचारियों के साथ अपने पहले आधिकारिक बातचीत में बायजूस के को-फाउंडर और सीईओ बायजू रवींद्रन (Byju Raveendran) ने कर्मचारियों के बीच घबराहट को कम करने की कोशिश की, और उन्हें मजबूत वापसी का भरोसा दिया। रवींद्रन ने गुरुवार 29 जून को करीब 45 मिनट के टाउनहॉल में कर्मचारियों से कहा, "हम कठिन दौर में हैं, लेकिन हम जल्द ही वापस आएंगे।"
रवींद्रन ने आगे कहा, “पिछले 12 महीनों से हम संघर्ष कर रहे हैं। लेकिन एडटेक सेक्टर हमेशा रहेगा, और हम इस सेक्टर के अगुआ हैं। यह सबसे महत्वपूर्ण सेक्टर्स में से एक है और हम सही जगह पर हैं।''
रवींद्रन ने कर्मचारियों से यह भी कहा कि कंपनी के बोर्ड सदस्यों ने डेलॉयट के इस्तीफे के कारण पद नहीं छोड़ा है। कर्मचारियों ने मनीकंट्रोल को बताया कि उन्होंने बोर्ड के तीनों सदस्यों को उनके समर्थन और मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद दिया।
इस हफ्ते की शुरुआत में मनीकंट्रोल ने एक रिपोर्ट में बताया था कि बायजूस के बोर्ड के 3 सदस्यों ने फाउंडर रवींद्रन से मतभेद के चलते अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इसमें सिकोइया कैपिटल इंडिया (पीक XV पार्टनर्स) के जीवी रविशंकर, चैन जुकरबर्ग इनिशिएटिव के विवियन वू, और प्रोसस के रसेल ड्रेसेनस्टॉक शामिल है। तीनों ने इस्तीफा देते समय यह भी कहा था कि डेलॉयट का इस्तीफा आपस में मिल-जुलकर लिया गया फैसला था।
पिछले हफ्ते, मनीकंट्रोल ने बताया कि डेलॉयट ने कंपनी की वित्त वर्ष 2022 के वित्तीय नतीजों में लंबी देरी का हवाला देते हुए बायजूस और इसकी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी आकाश (Aakash) के ऑडिटर के पद से इस्तीफा दे दिया था।
रवींद्रन ने कर्मचारियों को आगे बताया कि हालिया मुद्दों के कारण कंपनी की अपने टर्म लोन-B के लेनदारों के साथ चल रही बातचीत अच्छी तरह से आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा, "बातचीत एक अहम मोड़ पर है और हमें कुछ ही हफ्तों में सकारात्मक खबर मिल सकती है।" टाउन हॉल गुरुवार 29 जून को सुबह 11 बजे आयोजित किया गया था।
"कर्मचारियों को इन मुद्दों पर अभी भी स्पष्टता नहीं"
टाउनहॉल के दौरान चैट बॉक्स का विकल्प नहीं दिया गया था। हालांकि कर्मचारियों को बाद में अपने सवाल पोस्ट करने का विकल्प दिया गया था। हालांकि इन सवालों का तुरंत जवाब नहीं दिया गया, जिससे कर्मचारियों को छंटनी, सैलरी में बढ़ोतरी, इनसेंटिव और प्रोविडेंट फंड जैसे मुद्दों पर अधिक स्पष्टता नहीं मिल सकी।
एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “हमें बाद में सवाल भेजने के लिए कहा गया था लेकिन वे कब जवाब देंगे, इस पर कोई स्पष्टता नहीं है। छंटनी, सैलरी में बढ़ोतरी, इनसेंटिव और प्रोविडेंट फंड के बारे में भी कोई स्पष्टीकरण नहीं था।”