फ्लिपकार्ट अपने खर्च में बड़ी कमी करने जा रही है। पिछले हफ्ते कंपनी के बोर्ड की मीटिंग में सीईओ कल्याण कृष्णमूर्ति को खर्च में करीब 50 फीसदी कमी करने को कहा गया। कंपनी आईपीओ पेश करने से पहले खर्च में यह कमी करना चाहती है। यह अपनी होल्डिंग कंपनी को भी सिंगापुर से इंडिया लाना चाहती है। मामले से जुड़े लोगों ने मनीकंट्रोल को यह जानकारी दी है।
खर्च अभी हर महीने 340 करोड़ रुपये
Flipkart का खर्च अभी हर महीने करीब 340 करोड़ रुपये (4 करोड़ डॉलर) है। कुछ साल पहले अमेरिका की दिग्गज रिटेल कंपनी Walmart ने फ्लिपकार्ट को खरीदा था। काफी समय से फ्लिकार्ट का खुद को स्टॉक मार्केट में लिस्ट कराने का प्लान रहा है। फ्लिकार्ट का बोर्ड चाहता है कि कंपनी के खर्च को कम कर हर महीने करीब 170 करोड़ तक लाया जाए। कंपनी आने वाली तिमाहियों में इसके लिए कोशिश कर सकती है। इस मामले से जुड़े एक व्यक्ति ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर यह जानकारी दी।
सालाना खर्च 25 करोड़ डॉलर तक लाना होगा
स्टार्टअप्स और न्यू-एज कंपनियां अपने बिजनेस ऑपरेशन के लिए जो पैसे खर्च करती हैं, उसे कैश बर्न (Cash Burn) कहा जाता है। किसी कंपनी के कैश बर्न से पता चलता है कि नया कैपिटल जुटाए बगैर उसका ऑपरेशन कितने दिन तक जारी रह सकता है। जिस कंपनी का कैश बर्न जितना कम होता है, उसकी हेल्थ उतनी अच्छी मानी जाती है। फ्लिकार्ट के सीईओ कृष्णामूर्ति को कैश बर्न को कम कर सालाना 25 करोड़ डालर तक लाने को कहा गया है।
फ्लिपकार्ट नई बिजनेस यूनिट्स पर निवेश कर रही है
फ्लिपकार्ट के सीईओ को बोर्ड ने ऐसे वक्त कैश बर्न घटाने को कहा है जब कंपनी अपनी नई बिजनेस यूनिट्स को लेकर काफी आक्रामक दिख रही है। खासकर अपनी क्विक कॉमर्स यूनिट Flipkart Minutes पर उसका ज्यादा फोकस है। इस बारे में 21 अप्रैल को भेजे गए सवालों के जवाब फ्लिपकार्ट ने नहीं दिए। इससे पहले कंपनी ने कहा था कि वह अगले 8 महीनों में 500 नए डार्क स्टोर ओपन करेगी। इस प्लान पर कंपनी को काफी ज्यादा खर्च करना पड़ेगा। अगर कंपनी इंडिया में तेजी से बढ़ती रैपिड डिलीवरी इंडस्ट्री में अपनी मजबूत जगह बनाना चाहती है तो उसे डार्क स्टोर पर खर्च करना होगा।
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फ्लिपकार्ट का मुकाबला इन दिग्गज कंपनियों से
Flipkart Minutes का मुकाबला Zomato की Blinkit, Zepto, Swiggy Instamart और Tata BigBasket जैसी कंपनियों से है। फ्लिपकार्ट के बोर्ड के खर्च घटाने के प्लान से कंपनी के सीईओ पर दबाव बढ़ गया है। एक तरफ कंपनी IPO से पहले कैश बर्न में कमी करना चाहती है तो दूसरी तरफ वह नई बिजनेस यूनिट्स पर निवेश करना चाहती है। एक सूत्र ने बताया कि कंपनी पहले से ही खर्च में कमी के लिए बड़े कदम उठा रही है। कुछ महीनों पहले इसने अपने फार्मेसी बिजनेस Flipkart Health+ को बंद कर दिया। यह दूसरे कोर बिजनेस का आकार भी घटा रही है।