रेडकेनको हेल्थ टेक ने ऑपरेशन बंद कर दिया है। मुंबई के इस हेल्थकेयर स्टार्टअप ने फाइनेंशियल और ऑपरेशनल क्राइसिस की वजह से कामकाज बंक कर दिया है। इस मामले से जुड़े सूत्रों ने मनीकंट्रोल को यह जानकारी दी है। इस स्टार्टअप को केनको हेल्थ के नाम से जाना जाता था। इसने पीक एक्सवी पार्टनर्स, ओरियोस वेंचर पार्टनर्स और बीनेक्स्ट जैसे बड़े निवेशकों से 1.37 करोड़ डॉलर जुटाए थे। एक समय केनको हेल्थ की वैल्यूएशन 6 करोड़ डॉलर तक पहुंच गई थी।
इंश्योरेंस का लाइसेंस नहीं मिलने से संकट में फंस गई कंपनी
2019 तक इस स्टॉर्टअप (Startup) ने अच्छी ग्रोथ दिखाई थी। इसे बड़े इनवेस्टर्स का सपोर्ट भी हासिल था। लेकिन, इंश्योरेंस लाइसेंस लेने में नाकाम रहने के बाद इसका मुश्किल वक्त शुरू हो गया। इसके सामने पैसे की दिक्कत पैदा हो गई। इसे कामकाज से जुड़ी मुश्किलों का भी सामना करना पड़ा। आखिरकार कंपनी को ऑपरेशन बंद करने को मजबूर होना पड़ा। कंपनी के मुंबई और बेंगलुरु स्थित ऑफिस को बंद कर दिया गया है। कंपनी के करीब 100 एंप्लॉयीज के सामने बड़ी मुश्किल पैदा हो गई है। उन्हें करीब तीन महीने से सैलरी नहीं मिली है।
निवेशकों ने एनसीएलटी का किया रुख
केनको हेल्थ के फाउंडर्स अनिरुद्ध सेन और धीरज गोयल ने जुलाई से अगस्त के बीच एंप्लॉयीज को कई ईमेल भेजे थे। इनमें उन्होंने बताया था कि कंपनी के पास पैसे खत्म हो गए हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि निवेशक इस मामले को लेकर नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल में चले गए हैं। एक ईमेल में सेन ने एंप्लॉयीज को कहा था, "दुर्भाग्य से कंपनी के पास पैसे खत्म हो गए हैं। कई वजहों से हम समय पर नई पूंजी डालने में नाकाम रहे। कंपनी को लोन देने वाले एक डेट फंड यह मामला एनसीएलटी में ले गया है।"
कंपनी को डूबने से बचाने के लिए फाउंडर्स ने लगाए खुद के पैसे
एक दूसरे ईमेल में फाउंडर्स ने लिखा है, "कंपनी के पास पैसे काफी पहले खत्म हो गए थे। इस वजह से कंपनी एंप्लॉयीज का फुल एंड फाइनल सेटलमेंट नहीं कर पाई। यह दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन यह कड़वी हकीकत है।" उन्होंने एंप्लॉयीज को यह भी बताया कि उन्होंने पिछले साल अक्टूबर से दिसंबर के दौरान कंपनी में खुद के करीब 9 करोड़ रुपये लगाए थे। इस पैसे से एंप्लॉयीज को सैलरी दी गई थी। लेकिन, यह पर्याप्त नहीं था।
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हेल्थ प्लान ऑफर करता था यह स्टार्टअप
मुबई का यह स्टार्टअप सब्सक्रिप्शन आधारित हेल्थ प्लान ऑफर करता था। जनवरी से ही इसकी मुश्किल शुरू हो गई थी। हालांकि, इसने अच्छी रेवेन्यू ग्रोथ हासिल की थी। FY22 में इसका रेवेन्यू 5 करोड़ रुपये था, जो FY23 में बढ़कर 85 करोड़ रुपये हो गया था। लेकिन, कंपनी का लॉस बढ़कर 68 करोड़ रुपये हो गया। इस स्टार्टअप में कई बड़े इनवेस्टर्स ने पैसे लगाए थे।