'ऐतिहासिक है फैसला', दिल्ली हाई कोर्ट से मिली एक राहत तो बोले अशनीर ग्रोवर; क्या है मामला

दिल्ली हाई कोर्ट ने अशनीर ग्रोवर को कंपनी के को-फाउंडर शाश्वत नकरानी द्वारा बेचे गए शेयरों की बिक्री, ट्रांसफर या कोई थर्ड पार्टी अधिकार देने पर रोक लगाने से मना कर दिया है। अशनीर ग्रोवर का कहना है कि यह आदेश भारत में फाउंडर्स के अधिकारों की रक्षा करने में काफी मदद करेगा और को-फाउंडर्स को एक-दूसरे की हिस्सेदारी का सम्मान करने और 'ब्रो-कोड' को न तोड़ने का सबक सिखाएगा

अपडेटेड Dec 16, 2023 पर 1:35 PM
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अर्जी में नकरानी ने कहा था कि जुलाई, 2018 में ग्रोवर के साथ हुआ मौखिक समझौता, कानून एवं अनुबंध के प्रावधानों पर खरा नहीं उतरता है।

डिजिटल पेमेंट ऐप भारतपे (BharatPe) के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर अशनीर ग्रोवर (Ashneer Grover) को दिल्ली हाईकोर्ट से एक राहत मिली है। कोर्ट ने अशनीर ग्रोवर को कंपनी के को-फाउंडर शाश्वत नकरानी (Shashvat Nakrani) द्वारा बेचे गए शेयरों की बिक्री, ट्रांसफर या कोई थर्ड पार्टी अधिकार देने पर रोक लगाने से मना कर दिया है। हालांकि कोर्ट ने निर्देश दिया है कि अगर ग्रोवर इन शेयरों के ट्रांसफर या बिक्री का फैसला करते हैं तो उन्हें इस लेनदेन की पूर्व-सूचना अदालत को देनी होगी। दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले की अशनीर ग्रोवर ने सराहना की है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा...

'मैं मेरे पक्ष में और मेरी इक्विटी की रक्षा के लिए इस आदेश को पारित करने के लिए माननीय हाई कोर्ट का अत्यधिक आभारी हूं। हम फाउंडर्स के रूप में 'इक्विटी' वैल्यू बनाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं और यह आदेश भारत में फाउंडर्स के अधिकारों की रक्षा करने में काफी मदद करेगा। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह को-फाउंडर्स को एक-दूसरे की हिस्सेदारी का सम्मान करने और 'ब्रो-कोड' को न तोड़ने का एक महत्वपूर्ण सबक सिखाएगा। मेरे वकील गिरि सुब्रमण्यम को बहुत-बहुत धन्यवाद- यह कई मायनों में एक ऐतिहासिक फैसला है।'

क्या कहा गया था अर्जी में


अशनीर के खिलाफ दायर की गई अर्जी में नकरानी ने कहा था कि जुलाई, 2018 में ग्रोवर के साथ हुआ मौखिक समझौता, कानून एवं अनुबंध के प्रावधानों पर खरा नहीं उतरता है। यह समझौता रिसिएलेंट इनोवेशंस प्राइवेट लिमिटेड (RIPL) के 2,447 शेयरों से संबंधित है। नकरानी ने दावा किया था कि इस समझौते में उन्हें ग्रोवर से कैश या किसी अन्य रूप में कोई कंसीडरेशन नहीं मिला था। अपनी अर्जी में नकरानी ने उनके द्वारा ग्रोवर को बेचे गए शेयरों को ग्रोवर द्वारा बेचने, ट्रांसफर करने, या थर्ड पार्टी अधिकार क्रिएट करने से रोकने की अपील की थी।

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जुलाई 2017 में भाविक कोलाडिया और शाश्वत नकरानी ने भारतपे को शुरू किया था। कंपनी मार्च 2018 में इनकॉरपोरेट हुई। उसके बाद जून 2018 में अशनीर ग्रोवर ने भारतपे को कोफाउंडर के तौर पर जॉइन किया। भारतपे ने मार्च, 2022 में ग्रोवर को कंपनी में सभी पदों से हटा दिया था। जून 2022 में भाविक ने भी इस्तीफा दे दिया।

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First Published: Dec 16, 2023 1:09 PM

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