कई इंडियन स्टार्टअप्स को इंडिया ऑफिस ट्रांसफर करने पर भारी टैक्स चुकाना पड़ रहा है। इनमें मीशो, रेजरपे और ग्रो जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं। इन कंपनियों ने अमेरिका से बिजनेस की शुरुआत की थी। ये कंपनियां आईपीओ पेश करने की तैयारी में हैं। इसके लिए इन्हें अपने हेडक्वार्टर्स अमेरिका से इंडिया ट्रांसफर करने होंगे। ई-कॉमर्स स्टार्टअप मीशो ने अमेरिका के डेलावेयर से बिजनेस की शुरुआत 2016 में की थी। कंपनी ने वाय कम्बिनेटर के एक्सीलरेटर प्रोग्राम का फायदा उठाने के लिए अपना ऑफिस अमेरिका में रखा था।
मेशो आईपीओ पेश करने की तैयारी में है
Meesho अब आईपीओ पेश करने की तैयारी कर रही है। इसके लिए इंडिया में ऑफिस ट्रांसफर करने पर उसे 2,461 करोड़ रुपये अमेरिकी सरकार को चुकाने होंगे। यह पिछले कुछ सालों में इंडियन स्टार्टअप की तरफ से चुकाए जाने वाला सबसे ज्यादा टैक्स है। इससे पहले PhonePe को 2023 में 8500 करोड़ रुपये का टैक्स चुकाना पड़ा था। मीशो अकेली कंपनी नहीं है, जिसे अमेरिका में काफी ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ रहा है। Razorpay को भी भारी टैक्स चुकाना पड़ेगा, जबकि Groww ने बड़ा अमाउंट चुका दिया है।
ग्रो ने पिछले साल चुकाया है काफी ज्यादा टैक्स
रेजरपे ने अगले दो साल में आईपीओ पेश करने का प्लान बनाया है। इसे इंडिया ऑफिस ट्रांसफर करने के लिए 1,245 करोड़ रुपये का टैक्स चुकाना पड़ सकता है। Groww को पिछले साल अक्टूबर में करीब 1,340 करोड़ रुपये का टैक्स चुकाना पड़ा था। इसका मतलब है कि अगर तीन स्टार्टअप्स को मिला दिया जाए तो टैक्स पर होने वाला कुल खर्च 60 करोड़ डॉलर यानी 5100 करोड़ रुपये पहुंच जाएगा। यह अमेरिका में बिजनेस शुरू करने की कीमत है, जो काफी ज्यादा लग रही है।
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वाय कम्बिनेटर के प्रोग्राम का फायदा उठाने के लिए अमेरिका में ऑफिस चाहिए
अगर किसी स्टार्टअप को अमेरिका में Y Combinator की मदद चाहिए तो उसकी पॉलिसी माननी पड़ेगी। वाय कम्बिनेटर के प्रोग्राम का फायदा कोई स्टार्टअप तभी उठा सकता है जब वह चार ज्यूरिडिक्शन में अपने बिजनेस का रजिस्ट्रेश कराएगा। इसके लिए अमेरिका में डेलावेयर, Cayman Islands, Canada और Singapore विकल्प हैं। इंडियन फाउंडर्स पहले अमेरिका में होल्डिंग कंपनी बनाते हैं और इंडियन ऑपरेशन सब्सिडियरी कंपनी के जरिए करते हैं।