भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बेंगलुरु स्थित बाय-नाउ-पे-लेटर (BNPL) स्टार्टअप सिंपल (Simpl) को सभी पेमेंट ऑपरेशंस बंद करने का निर्देश दिया है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पेमेंट्स एंड सेटलमेंट सिस्टम्स (PSS) एक्ट के तहत जरूरी ऑथराइजेशन न होने के कारण सिंपल के खिलाफ यह एक्शन लिया गया है। RBI ने सिंपल को पेमेंट, क्लियरिंग और सेटलमेंट फंक्शंस से जुड़े पेमेंट सिस्टम्स का बिजनेस तुरंत बंद करने को कहा है।
केंद्रीय बैंक का तर्क है कि सिंपल, PSS एक्ट 2007 के तहत जरूरी ऑथराइजेशन सर्टिफिकेट के बिना पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर के तौर पर काम कर रहा है। उचित ऑथराइजेशन के बिना ऐसे ऑपरेशंस, प्रावधानों का उल्लंघन हैं। PSS एक्ट, 2007 के सेक्शन 4 के तहत कोई भी एंटिटी RBI की इजाजत के बिना पेमेंट सिस्टम शुरू नहीं कर सकती।
सिंपल एक फिनटेक स्टार्टअप है, जो ई-कॉमर्स, फूड डिलीवरी और क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर ग्राहकों को BNPL सर्विसेज देता है। यह यूजर्स को तुरंत चेकआउट करने और बाद में पेमेंट करने की सुविधा देता है, आमतौर पर जीरो ब्याज के साथ 15 दिनों के अंदर। इसके मर्चेंट क्लाइंट्स में जोमैटो, बिगबास्केट, रैपिडो, बॉक्स8 और अन्य नाम शामिल हैं। कंपनी का दावा है कि वह 26000 से ज्यादा मर्चेंट्स के साथ काम करती है।
सिंपल को गोल्डमैन सैक्स में वाइस प्रेसिडेंट रह चुकीं नित्या शर्मा ने चैत्रा चिदानंद के साथ मिलकर शुरू किया था। चैत्रा बाद में 2020 में एक अन्य फिनटेक की को-फाउंडर बन गईं और सिंपल को छोड़ दिया। समय के साथ, इसने लगभग 8.3 करोड़ डॉलर का फंड जुटाया। निवेशकों में डीआईए इनवेस्टमेंट्स, हार्ड याका, एफजे लैब्स, वलार वेंचर्स आदि शामिल रहे।
जुलाई में ED ने शुरू की थी कार्यवाही
इससे पहले इस साल जुलाई में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (FEMA), 1999 के तहत सिंपल और उसके फाउंडर-डायरेक्टर नित्यानंद शर्मा के खिलाफ कार्यवाही शुरू की था। एजेंसी ने आरोप लगाया था कि कंपनी लगभग 914 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा से जुड़ी अनियमितताओं में शामिल है। सिंपल आधिकारिक तौर पर वन सिग्मा टेक्नोलोजिज प्राइवेट लिमिटेड के तौर पर रजिस्टर है।
जांचकर्ताओं का दावा है कि सिंपल ने टेक्नोलॉजी सर्विसेज देने के नाम पर विदेशी पूंजी जुटाई और इस पैसे को कथित तौर पर फाइनेंशियल सर्विसेज गतिविधियों में लगा दिया। इन गतिविधियों के लिए रेगुलेटर से पहले से मंजूरी लिए जाने की जरूरत होती है। इसलिए ED का कहना है कि इस कदम ने भारत के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) नियमों का उल्लंघन किया है।