जब ऑनलाइन ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म जीरोधा (Zerodha) की शुरुआत हुई थी तो एडवर्टाइजमेंट नहीं किया गया था। इसकी वजह है कि एड करने के लिए पैसे ही नहीं थे। यह बात जीरोधा के को-फाउंडर और CEO नितिन कामत ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कही है। उन्होंने बताया कि बिना एड के जीरोधा कैसे आगे बढ़ी। जीरोधा आज के टाइम में भारत की सबसे बड़ी स्टॉक ब्रोकरेज फर्म मानी जाती है।
नितिन कामत ने X पर एक पोस्ट में लिखा, जब हमने जीरोधा ऑनलाइन की शुरुआत की थी, तब हमारे पास एडवर्टाइजमेंट करने के लिए पैसे नहीं थे। न ही यह निश्चित था कि यह वर्क करेगा। इसलिए हमारे आगे बढ़ने का एकमात्र तरीका मुंहजुबानी प्रचार और ग्राहकों के रेफरल ही थे। और यही एकमात्र तरीका था कि हम ऐसे प्रोडक्ट और सर्विसेज पेश करें, कि ग्राहक उनके बारे में बात करें।'
कामत ने कहा कि हमने अपना रेफरल प्रोग्राम 2010 में शुरू किया था और तब से, नियमों के कारण रेफरल इंसेंटिव कई बार बदले हैं। जैसे कि 2018/19 में एक रेगुलेटरी बदलाव के कारण हमें रेफरल इंसेंटिव देने से मना कर दिया गया था।
रेफरल से जुड़ते हैं बड़ी संख्या में अकाउंट्स
पोस्ट में जीरोधा को-फाउंडर ने आगे लिखा, 'इंसेंटिव में इतने सारे बदलावों के बावजूद, बड़ी संख्या में अकाउंट्स, रेफरल के जरिए जुड़ते रहते हैं। आज, हम कोई इंसेंटिव ऑफर नहीं करते हैं। इसके बावजूद, रेफरल कमोबेश स्थिर ही रहे हैं। यह तस्वीर इनडायरेक्ट रेफरल्स के बड़े हिस्से को नहीं दर्शाती है, और ग्राहकों का प्यार हमारे लिए एक बड़ी ताकत है।'
जीरोधा की शुरुआत नितिन कामत और निखिल कामत ने साल 2010 में की थी। उनकी कंपनी में किसी बाहरी निवेशक का पैसा नहीं लगा है। अपनी बिजनेस पार्टनरशिप में निखिल कामत शेयर बाजार और निवेश पर फोकस करते हैं। वहीं नितिन प्रोडक्ट, ब्रोकरेज और पीपुल ऑपरेशंस संभालते हैं।