लाल सागर में तनाव अभी तक कम नहीं हो रहा है। जियोस्फेयर कैपिटल मैनेजमेंट के एमडी अरविंद संगेर का मानना है कि लाल सागर के क्षेत्र में बढ़ते तनाव का वैश्विक स्तर पर आर्थिक विकास को झटका लग सकता है। उनका मानना है कि अगर लाल सागर में स्थिति सामान्य नहीं होती है तो इससे मुद्रास्फीति यानी महंगाई दर का दबाव बढ़ सकता है, जो आर्थिक स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा पैदा कर सकता है। उन्होंने ये आशंकाएं सीएनबीसी-टीवी18 को दिए एक इंटरव्यू में जाहिर कीं। उन्होंने बताया कि शंघाई कंटेनर फ्रेट इंडेक्स नवंबर 2023 के आखिरी से दोगुने से भी अधिक हो चुका है। अगर समुद्री जहाजों के रास्ते में इसी प्रकार की दिक्कतें बनी रहीं तो कंज्यूमर इनफ्लेशन भी उछल सकता है।
एक लेवल तक कच्चे तेल में उछाल का नहीं होगा असर
अरविंद के मुताबिक लाल सागर में मौजूदा तनाव के बावजूद अभी तेल की कीमतें लगभग स्थिर बनी हुई हैं। ब्रेंट क्रूड अभी 78 बैरल डॉलर के आस-पास है और वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट भी 73 डॉलर के आस-पास है। यह स्थिति तब है जब अमेरिका ने इस मामले में भी एक ताजा हमला किया है यानी कच्चे तेल की कीमतें अभी उबाल नहीं मार रही हैं। अरविंद का मानना है कि इस साल सब कुछ बेहतर चलेगा, ऐसा नहीं कहा जा सकता है क्योंकि जियोपॉलिटिकल तनाव लिक्विडिटी और स्थिरता को चुनौती दे सकते हैं। अरविंद के मुताबिक एक लेवल तक ही तेल की कीमतें कंज्यूमर इनफ्लेशन पर अधिक असर नहीं डालेंगी।
लाल सागर पर दुनिया भर की है निगाहें
वैश्विक स्तर पर समुद्री जहाजों की आवाजाही के लिए लाल सागर एक अहम रास्ता है। हालांकि इस समय हाउथी विद्रोहियों के हमलों के चलते इस रास्ते से आवाजाही को झटका लगा है। कई शिपिंग कंपनियों ने तो इधर से आना-जाना ही बंद कर दिया। हाउथी विद्रोही एशिया और यूरोप को जोड़ने वाले महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग स्वेज नहर पर आवाजाही करने वाले कॉमर्शियल जहाजों को बाधित कर रहे हैं। लाल सागर की मौजूदा स्थिति वैश्विक आर्थिक स्थिति पर नजर रखने वालों के विमर्श का अहम विषय बना हुआ है।