Ratan Tata: रतन टाटा के निधन के बाद टाटा ट्रस्ट्स आज 11 अक्टूबर को मुंबई में अपनी उत्तराधिकार योजनाओं पर चर्चा करने के लिए एक अहम बैठक कर सकता है। न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग ने एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का 9 अक्टूबर की शाम को 86 साल की आयु में निधन हो गया। उनके निधन के बाद अब सबकी निगाहें टाटा ट्रस्ट्स के भविष्य के लीडरशिप पर है। माना जा रहा है कि टाटा ट्रस्ट्स के कार्यों की देखरेख में उनके सौतेले भाई नोएल टाटा की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है।
नोएल टाटा फिलहाल सर रतन टाटा ट्रस्ट और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं, जो टाटा ट्रस्ट्स के तहत आने वाले अहम संस्थान हैं। इन ट्रस्ट्स का न केवल टाटा ग्रुप के परोपकारी कार्यों में अहम योगदान है, बल्कि इनकी टाटा संस में भी बहुतम हिस्सेदारी है, जो कि टाटा ग्रुप की पैरेंट कंपनी है।
रतन टाटा के पास टाटा संस में 0.83 प्रतिशत सीधी हिस्सेदारी थी। उनकी अधिकतर व्यक्तिगत संपत्ति का निर्माण इसी हिस्सेदारी से हुआ। हालांकि उनकी गैर-मौजूदगी में, अब टाटा ट्रस्ट्स और टाटा ग्रुप की कारोबारी रणनीति में नोएल टाटा की भूमिका और भी महत्वपूर्ण होती दिखाई दे रही है।
टाटा ट्रस्ट्स ने टाटा ग्रुप के संचालन में हमेशा से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और नोएल टाटा की अगुआई में भी यह प्रभाव जारी रहने की उम्मीद है। टाटा ग्रुप की मौजूदगी 100 से अधिक देशों में है और 2023-24 में इसका कुल रेवेन्यू 165 अरब डॉलर से अधिक था। यह ग्रुप दुनिया भर में 10 लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है।
नोएल टाटा के पास ग्रुप के उत्तराधिकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर है और टाटा ट्रस्ट्स की अगुआई में ग्रुप की भविष्य की दिशा पर उनकी नीतियों और नजरिए का महत्वपूर्ण प्रभाव हो सकता है।