TikTok Sale: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टिकटॉक (TikTok) की पैरेंट कंपनी बाइटडांस (ByteDance) के साथ एक समझौते पर लगभग सहमति बना ली थी। इससे अमेरिका में काफी लोकप्रिय हो चुकी ऐप अमेरिका में प्रतिबंध से बच जाती लेकिन अब रेसिप्रोकल टैरिफ के ऐलान के बाद चीन ने इस पर मंजूरी नहीं दी। इसके चलते सौदा अटक गया। यह जानकारी न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग को सूत्रों के हवाले से मिली है। सूत्रों के मुताबिक उम्मीद थी कि कई महीनों की बातचीत के बाद अमेरिकी अधिकारी बुधवार को एक समझौते पर पहुंच जाते। प्रस्ताव के तहत टिकटॉक का एक नया वर्जन लॉन्च करना था जिसमें मेजारिटी हिस्सेदारी अमेरिकी निवेशकों की होती। इसमें बाइटडांस की हिस्सेदारी 20 फीसदी से कम करने का प्रस्ताव था।
व्हाइट हाउस के अधिकारियों की योजना थी कि ट्रंप के एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर साइन करते और प्रस्ताव को मंजूरी देते जिससे सौदा पूरा करने के लिए 120 दिनों का समय मिलता। यह ऐलान टिकटॉक को अमेरिका में प्रतिबंध से बचाने के लिए 4 अप्रैल से किया जाना था। हालांकि फिर ऐसा हुआ कि ट्रंप ने चीन से कई चीजों के आयात पर 54 फीसदी का टैरिफ लगा दिया। ऐसे में बाईटडांस के प्रतिनिधियों ने गुरुवार को चेतावनी दी कि चीन सरकार के अधिकारी अब इस मामले में तब तक आगे नहीं बढ़ेंगे, जब तक टैरिफ को लेकर बातचीत नहीं हो जाती है।
तो क्या अमेरिका में बैन हो जाएगा अब TikTok?
ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि क्या 5 अप्रैल की डेडलाइन बीतने के बाद अमेरिका में टिकटॉक बैन हो जाएगा? इसे लेकर ट्रंप ने खुद स्थिति स्पष्ट कर दी है। योजना को लेकर अनिश्चितता पर ट्रंप ने किसी सौदे के लिए शुक्रवार को डेडलाइन 75 दिन और आगे खिसका दिया है यानी कि टिकटॉक पर बैन की तलवार फिलहाल हट गई है। बाईटडांस ने पुष्टि की है कि टिकटॉक को लेकर अमेरिकी सरकार से बातचीत चल रही है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा है कि वह टिकटॉक को बंद नहीं होने देना चाहते हैं और ऐसे में वह डील के लिए वह टिकटॉक और चीन के साथ काम करने के लिए तैयार हैं। वहीं चाइनीज दूतावास के प्रवक्ता लियू पेंगी (Liu Pengy) ने कहा कि चीन ने टिकटॉक को लेकर अपनी स्थिति पहले ही स्पष्ट कर दी है। लियू पेंगी ने कहा कि चीन ने कंपनियों के हितों और वैध हितों का हमेशा समर्थन किया है और इसे नुकसान पहुंचाने वाली हर कोशिशों का विरोध किया है। लियू ने कहा कि अतिरिक्त टैरिफ लगाने पर चीन का विरोध हमेशा स्पष्ट रहा है।