Cognizant News: अमेरिका में नस्लीय भेदभाव का बड़ा मामला सामने आया है। एक अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने कॉग्निजेंट टेक्नोलॉजीज सॉल्यूशंस को गैर-भारतीयों से भेदभाव का दोषी पाया है। कोर्ट का कहना है कि कंपनी ने ऐसा काम किया है, जिसके चलते इस पर नुकसान की भरपाई का मामला बनता है। यह मामला करीब दस साल पुराना है। इस मामले में वॉशिंगटन डीसी के एक कानूनी फर्म ने एंप्लॉयीज की तरफ से दायर किया था। इसमें आरोप लगाया गया था कि गैर-भारतीय एंप्लॉयीज के साथ कॉग्निजेंट ने भेदभाव किया। कुछ एंप्लॉयीज ने तो शिकायत की थी कि उन्हें बेंच पर डालने के बाद कंपनी से निकाल दिया गया। इंडस्ट्री में बेंच पर डालने का मतलब है कि एंप्लॉयीज बिना किसी प्रोजेक्ट के अस्थायी तौर पर कंपनी के पेरोल से जुड़े हुए हैं और अगले असाइनमेंट का इंतजार कर रहे है।
फैसले पर Cognizant की क्या रही प्रतिक्रिया?
अमेरिकी कोर्ट के फैसले से कॉग्निजेंट निराश है। कंपनी का कहना है कि इस फैसले के खिलाफ उचित समय पर अपील करने की योजना बनाई जा रही है। कंपनी का कहना है कि उनके यहां सभी एंप्लॉयीज को रोजगार के समान अवसर मिलते हैं। कॉग्निजेंट का कहना है कि उनकी कंपनी में हर प्रकार के एंप्लॉयीज काम करते हैं और ऐसा माहौल बनाया गया है जिसमें सभी को आगे बढ़ने का मौका मिलता है। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि उनके यहां किसी भी किस्म का भेदभाव नहीं होता है और ऐसे आरोपों को गंभीरता से लिया जाता है।
H-1B Visa से जुड़ा है मामला
अमेरिकी कोर्ट ने कहा कि कॉग्निजेंट ने जान-बूझकर गैर-दक्षिण एशियाई एंप्लॉयीज के खिलाफ जाति के आधार पर और गैर-भारतीय एंप्लॉयीज के खिलाफ राष्ट्रीयता के आधार पर भेदभाव किया और उन्हें बेंच के जरिए कंपनी से निकाला गया। याचिका में एच-1बी वीजा प्रोसेस के दुरुपयोग का भी आरोप लगाया गया है। एच-1बी वीजा का इस्तेमाल आईटी कंपनियां विदेशों से अमेरिका में पेशेवरों की भर्ती के लिए इस्तेमाल करती हैं और इसका सबसे अधिक फायदा भारतीयों को मिलता है। एच-1बी वीजा राजनीतिक तौर पर काफी विवादास्पद मुद्दा बन चुका है और आरोप लगाए जाते रहे हैं कि अमेरिकियों के बदले विदेशियों को काम पर रखने के लिए इसका गलत तरीके से इस्तेमाल हो रहा है।