Voda Idea News: वित्तीय दिक्कतों से जूझ रही वोडाफोन आइडिया ने स्टारलिंक और वनवेब जैसी सैटेलाइट कम्यूनिकेशंस कंपनियों से बातचीत शुरू कर दिया है। यह बातचीत ऐसी जगहों पर टेलीकॉम सर्विसेज देने के लिए हो रही है, जहां टेलीकॉम इंफ्रा लगाना और फाइबर बिछाना आसान नहीं है। मनीकंट्रोल से बातचीत में कंपनी के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (CTO) जगबीर सिंह ने कहा कि सिर्फ स्टारलिंक ही नहीं, बल्कि दो-तीन और भी सैटकॉम प्लेयर्स से बातचीत हो रही है। अब आगे क्या होगा, यह कंपनी की रणनीति के हिसाब से तय होगा।
उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब वोडा आइडिया की सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी कंपनियां भारती एयरटेल और रिलायंस जियो ने एलॉन मस्क (Elon Musk) की स्पेसएक्स (SpaceX) से स्टारलिंक की हाई-स्पीड सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस भारत में लाने के लिए साझेदारी की है। जियो और एयरटेल ने यह साझेदारी दूर-दराज के इलाकों और गांवों में कनेक्टिविटी बढ़ाने के उद्देश्य से की है। ये कंपनियां अपने रिटेल आउटलेट के जरिए स्टारलिंक के इक्विपमेंट और सर्विसेज देंगी।
क्या है Voda Idea की स्ट्रैटेजी?
वोडा आइडिया के सीटीओ के मुताबिक एक रणनीति तो ये है कि टेलीकॉम सर्विसेज की पहुंच से अब तक दूर इलाकों में सर्विसेज मुहैया कराना है- चाहे यह फिक्स्ड वायरलेस हो या मोबाइल। उनका कहना है कि ऐसे इलाकों में सैटेलाइट सही रास्ता है। दूसरी रणनीति ये है कि जिन गांवों और छोटे टाउन में टेलीकॉम सर्विसेज लाना महंगा है, वहां फिक्स्ड वायरलेस ब्रॉडबैंड मुहैया कराया जाए। वोडा आइडिया का कहना है कि फिलहाल कंपनी की रणनीति में फिक्स्ड वायरलेस नहीं है तो ऐसे में चर्चा इस बात पर हो रही है कि किस रेश्यो में सर्विसेज शुरू करना सही रहेगा।
अभी की बात करें तो फिलहाल वोडाफोन आइडिया मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु जैसे अहम शहरों में अपने 5जी नेटवर्क का कॉमर्शियल ऑपरेशंस शुरू कर रही है और अपनी 5जी फिक्स्ड वायरलेस एक्सेस (FWA) सर्विस के लिए परीक्षण भी कर रही है। सीटीओ ने कहा कि अभी परीक्षण ही चल रहा है और बिजनेस केस देखे जा रहे हैं लेकिन कोई फैसला नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि कंपनी रिटेल और एंटरप्राइज यूजर्स की तरफ से मांग के हिसाब से 5जी एफडब्ल्यूए लॉन्च प्लान पर फैसला कर सकती है।
Starlink को लेकर क्या है एनालिस्ट्स की राय
एनालिस्ट्स के मुताबिक मीडियम टर्म में स्टारलिंक के सैटेलाइट ब्रोडबैंड सर्विस की रफ्तार सुस्त रह सकती है, खास तौर से गांवों में। इसकी वजह हाई प्राइसिंग है। हालांकि सिटी रिसर्च का मानना है कि स्टारलिंक के साथ साझेदारी से जियो और भारती एयरटेल दूर-दराज के इलाकों में अपनी पहुंच बढ़ा सकेंगी और जिन इलाकों में फाइबर या एफडब्ल्यू इंफ्रा नहीं है, वहां भी बी2बी कनेक्टिविटी और एंटरप्राइज सॉल्यूशंस का विस्तार कर सकेगी। एक्सिस कैपिटल का भी मानना है कि सैटेलाइड ब्रॉडबैंड का प्रसार थोड़ा मुश्किल है क्योंकि जिन इलाकों में फाइबर की दिक्कत है, वहां एफडीए ने विकल्प पेश कर दिया है। हालांकि एक्सिस कैपिटल का कहना है कि हाई-स्पीड के चलते स्टारलिंक धीरे-धीरे अपना रास्ता बना सकता है।