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अदाणी ने 3 साल बाद क्यों छोड़ा टेलीकॉम सेक्टर? एक्सपर्ट्स ने बताई पीछे हटने की असली वजह

अदाणी ग्रुप और भारती एयरटेल ने मंगलवार 22 अप्रैल को सौदे का ऐलान किया। इसके तहत भारती एयरटेल और उसकी सहायक कंपनी भारती हेक्साकॉम ने अदाणी डाटा नेटवर्क्स से 26 गीगाहर्ट्ज बैंड में 400 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल का अधिकार खरीदने का समझौता किया है। यह स्पेक्ट्रम अदाणी ने 2022 की नीलामी में 212 करोड़ रुपये में खरीदा था

अपडेटेड Apr 23, 2025 पर 4:24 PM
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अदाणी ग्रुप ने 2022 की नीलामी में 212 करोड़ रुपये में 5G स्पेक्ट्रम खरीदे थे

करीब तीन साल पहले जब अदाणी ग्रुप ने भारत की 5G स्पेक्ट्रम नीलामी में हिस्सा लिया था, तब इसे टेलीकॉम सेक्टर में एक बड़े बदलाव की शुरुआत माना गया था। लेकिन अब अदाणी डेटा नेटवर्क्स ने इस सेक्टर से कदम पीछे खींचते हुए अपने स्पेक्ट्रम को भारती एयरटेल को बेच दिया है। इस फैसले के पीछे कई रणनीतिक और आर्थिक वजहें सामने आई हैं, जिन्हें मार्केट एक्सपर्ट्स ने विस्तार से बताया है।

अदाणी ग्रुप और भारती एयरटेल ने मंगलवार 22 अप्रैल को सौदे का ऐलान किया। इसके तहत भारती एयरटेल और उसकी सहायक कंपनी भारती हेक्साकॉम ने अदाणी डाटा नेटवर्क्स से 26 गीगाहर्ट्ज बैंड में 400 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल का अधिकार खरीदने का समझौता किया है। यह स्पेक्ट्रम अदाणी ने 2022 की नीलामी में 212 करोड़ रुपये में खरीदा था।

सूत्रों के मुताबिक, अदानी ने दूरसंचार विभाग (DoT) को इसमें से लगभग 57 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। ऐसे में ब्याज को छोड़कर बाकी 150 करोड़ रुपये से अधिक की राशि अब एयरटेल की ओर से DoT को समय के साथ चुकाई जाएगी।


अदाणी ने क्यों खरीदा था स्पेक्ट्रम?

अदाणी ने यह स्पेक्ट्रम मुख्यतः अपने बंदरगाहों, एयरपोर्ट्स, लॉजिस्टिक्स हब और एनर्जी प्लांट्स में प्राइवेट 5G नेटवर्क लगाने के इरादे से खरीदा था। लेकिन तकनीकी चुनौतियों, स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल न कर पाने और सरकार की ओर से तय न्यूनतम रोलआउट शर्तों को पूरी न कर पाने के चलते कंपनी पर जुर्माने लगने लगे थे।

एक्सपर्ट्स का क्या है कहना?

एनालिसिस मेसन के पार्टनर अश्विंदर सेठी ने बताया कि, “अदाणी ग्रुप ने अपने इंडस्ट्रियल कामों के लिए 5G स्पेक्ट्रम खरीदा था। लेकिन किसी गैर-टेलीकॉम के लिए अपना प्राइवेट नेटवर्क तैयार करना और उसे बनाए रखना आसान नहीं होता। इसके लिए खास तरीके की तकनीकी क्षमताएं चाहिए होती हैं। जब स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल नहीं हो रहा था और रोलआउट की शर्तें पूरी नहीं की जा रही थीं, तब अदाणी के लिए इसे एयरटेल को बेचना, बिजनेस के लिहाज से एक समझदारी भरा कदम है।”

एक दूसरे एनालिस्ट्स ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि टेलीकॉम सेक्टर्स में भारी कैपिटल एक्सपेंडिंचर की जरूरत होती है। साथ ही इस सेक्टर में कॉम्पिटीशन भी काफी जबरदस्त है, जिसके चलते अदाणी को पीछे हटना पड़ा। उन्होंने कहा कि अदाणी ग्रुप पहले से ही बिजली, इंफ्रास्ट्रक्चर और ग्रीन एनर्जी जैसे भारी कैपिटल एक्सपेंडिचर की जरूरत वाले सेगमेंट्स में निवेश कर रहा है, इसलिए टेलीकॉम में बने रहना रणनीतिक रूप से गैर-जरूरी हो गया था।

एक्सपर्ट्स ने बताया कि अदाणी ग्रुप के लिए टेलीकॉम कभी भी मुख्य फोकस नहीं रहा था। कंपनी अभी भी मौजूदा ऑपरेटरों से नेटवर्क लीज पर लेकर भविष्य में प्राइवेट 5G सर्विसेज का लाभ उठा सकती हैं। ऐसे में बेकार पड़े स्पेक्ट्रम को बेचना एक समझदारी भरा कदम लग रहा है।

क्या थी अड़चन?

अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, अदाणी डाटा नेटवर्क्स को स्पेक्ट्रम की असल कमर्शियल उपयोगिता नहीं होने, रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट (ROI) को लेकर अनिश्चितता और डिवाइस इकोसिस्टम के अभाव ने परेशान किया। इसके अलावा सरकार की तरफ से बार-बार रोलआउट न होने पर स्पष्टीकरण की मांग भी कंपनी पर दबाव बना रही थी। जनवरी 2024 में Moneycontrol की रिपोर्ट के मुताबिक, अदाणी ने DoT को बताया था कि वह स्पेक्ट्रम को या तो सरेंडर करने या ट्रेड करने के विकल्पों पर विचार कर रहा है।

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