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पहलगाम आतंकी हमला: शेयर बाजार में भी मचेगा उथल-पुथल? निवेशक बेचैन, सरकार के इस एक्शन पर टिकी निगाहें

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक दिन पहले हुए बड़े आंतकी हमले के बावजूद, भारतीय शेयर बाजारों ने तेजी का सिलसिला जारी रखा। हालांकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि निवेशकों की असली परीक्षा इस घटना के बाद सरकार की प्रतिक्रिया पर निर्भर करेगी। उन्होंने कहा कि अगर सरकार कोई बड़ा जवाबी कार्रवाई करती है तो यह शॉर्ट-टर्म में बाजार में अस्थिरता को बढ़ा सकता है

अपडेटेड Apr 23, 2025 पर 2:13 PM
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Pahalgam Terror Attack: पहलगाम में हुआ हमला 2019 के पुलवामा हमले के बाद सबसे घातक आतंकी हमला है

Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक दिन पहले हुए बड़े आंतकी हमले के बावजूद, भारतीय शेयर बाजारों ने तेजी का सिलसिला जारी रखा। सेंसेक्स और निफ्टी आज 23 अप्रैल को लगातार सातवें दिन हरे निशान में कारोबार कर रहे हैं। यह बताता है कि निवेशकों ने इस हमले के बाद पैदा हुई किसी भी तरह के नेगेटिव सेंटीमेंट को फिलहाल के लिए दरकिनार कर दिया है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि निवेशकों के मनोबल पर इस घटना का असर न्यूनतम रहने की उम्मीद है और बाजार अप्रैल के अपने निचले स्तर से वापसी कर रहा है।

हालांकि उन्होंने साथ यह भी कहा कि निवेशकों की असली परीक्षा इस घटना के बाद सरकार की प्रतिक्रिया पर निर्भर करेगी। उन्होंने कहा कि अगर सरकार कोई बड़ा जवाबी कार्रवाई करती है तो यह शॉर्ट-टर्म में बाजार में अस्थिरता को बढ़ा सकता है।

वेंचुरा सिक्योरिटीज के रिसर्च हेड, विनीत बोलिंजकर ने बताया, "सरकारी की जबावी कार्रवाई से बाजार में शॉर्ट-टर्म में अस्थिरता आ सकती है। लेकिन कोई बड़ी हलचल तब तक पैदा नहीं होगी, जब तक पाकिस्तान के साथ जंग के आसार नहीं दिखाई देंगे।"


उन्होंने कहा कि अगर भारत की ओर से पाकिस्तान के खिलाफ कोई कड़ी सैन्य कार्रवाई होती है, तभी बाजार पर इसका गहरा असर हो सकता है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर जैसी स्थितियां है, उसमें कोई बड़े झटके वाली बात नहीं दिख रही है। वैसे भी शेयर बाजार हाल में रूस-यूक्रेन जंग और ट्रंप के टैरिफ ऐलानों सहित कई बड़े झटके झेल चुका है।

वेल्थमिल्स सिक्योरिटीज के इक्विटी स्ट्रैटेजी डायरेक्टर, क्रांति बथिनी ने भी इसी तरह की राय रखी। उनके मुताबिक निवेशकों की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि सरकार आगे जवाबी कार्रवाई के लिए कूटनीतिक बातचीत, आतंकी ठिकानों को लक्ष्य बनाकर हमले, या फिर किसी बड़ी सैन्य हमले में से कौन से रास्ते को अपनाती है।

उन्होंने यह भी जोड़ा कि आज की भारतीय इकोनॉमी 1999 के कारगिल युद्ध के समय की तुलना में कहीं अधिक मजबूत स्थिति में है। क्रांति बथिनी ने कहा कि पिछले दो दशकों में भारत की जीडीपी दस गुना से भी ज्यादा बढ़ चुकी है, जिससे यह साफ है कि भारत अब भू-राजनीतिक झटकों को सहने में पहले से कहीं अधिक सक्षम है।”

सीनियर मार्केट एनालिस्ट अजय बग्गा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि भारत ने इससे पहले जब भी इस तरह की जवाबी कार्रवाई की है, तो उसके बाद शेयर बाजार में शॉर्ट-टर्म गिरावट देखी गई है। लेकिन उसके कुछ दिन बाद मार्केट में वापस स्थिरता लौट आती है और यह अपनी पुरानी पोजिशन को हासिल कर लेता है।

पहले की कार्रवाई पर कैसी रही है शेयर बाजार की प्रतिक्रिया?

26 फरवरी, 2019 को जब भारतीय वायुसेना ने बालाकोट में आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए, तो सेंसेक्स में 239 अंकों की गिरावट आई, जबकि निफ्टी में 44 अंकों की गिरावट आई। हालांकि, अगले दिन बाजार में उछाल आया और सेंसेक्स 165 अंकों की बढ़त के साथ खुला और आखिरकार सपाट बंद हुआ।

14 फरवरी 2019 को हुए पुलवामा हमला के बाद, 15 फरवरी को शेयर बाजारों में 0.2 फीसदी की हल्की गिरावट देखी गई। वहीं 2016 में उरी हमले के बाद जब सर्जिकल स्ट्राइक हुआ, उसके बाद सेंसेक्स में 400 अंकों से अधिक और निफ्टी में करीब 156 अंकों की गिरावट देखी गई।

लेकिन आंकड़े यह भी बताते है कि बाजार जल्द ही इन झटकों से रिकवर हो जाता है या कई बार इन घटनाओं को उस पर कोई असर नहीं पड़ता है।

1999 के कारगिल युद्ध के दौरान, सेंसेक्स और निफ्टी में लगभग 33 प्रतिशत की उछाल आई थी। कारगिल युद्ध करीब 3 महीने चला था। इस दौरान 1,115 अंक और निफ्टी ने 319 अंक की छलांग लगाई थी। यहां तक ​​कि 2008 के मुंबई हमलों के दौरान भी, बाजार ने शानदार प्रदर्शन किया था। उस वक्त सेंसेक्स ने दो दिन में करीब 400 अंक और निफ्टी ने 100 अंक की बढ़त दर्ज की थी।

देश में शोक का माहौल

पहलगाम में हुआ हमला 2019 के पुलवामा हमले के बाद सबसे घातक आतंकी हमला है, जिसमें अब तक 26 पर्यटकों की मौत की पुष्टि हुई है। इस नृशंस हमले की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी निंदा की गई है। जिम्मेदारी कथित तौर पर द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है, जो लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा एक पाकिस्तान-आधारित संगठन है। हालांकि, भारत सरकार की ओर से अब तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।

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