Circuit Limit Changes: बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (Bombay Stock Exchange / BSE) ने बाजार में असामान्य ट्रेडिंग गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। एक्सचेंज ने 22 दिसंबर 2025 से 37 कंपनियों के शेयरों पर रिवाइज्ड प्राइस बैंड यानी सर्किट लिमिट लागू करने का ऐलान किया है। BSE के मुताबिक, इसका मकसद शेयरों में अचानक होने वाले तेज उतार-चढ़ाव को काबू में करना और निवेशकों को संभावित जोखिम से बचाना है।
सर्किट लिमिट में क्यों होता है बदलाव
बीएसई समय-समय पर ऐसे शेयरों की पहचान करता है, जिनमें कीमत या ट्रेडिंग वॉल्यूम में असामान्य तेजी या गिरावट देखी जाती है। ऐसे मामलों में एक्सचेंज अपने रेगुलर सर्विलांस मैकेनिज्म के तहत कार्रवाई करता है। इसके तहत किसी स्टॉक का प्राइस बैंड 2 फीसदी, 5 फीसदी या 10 फीसदी तक सीमित किया जा सकता है, ताकि जरूरत से ज्यादा वोलैटिलिटी को रोका जा सके।
सिर्फ प्राइस बैंड तक सीमित नहीं उपाय
सर्विलांस उपाय सिर्फ प्राइस बैंड तक सीमित नहीं होते। जरूरत पड़ने पर किसी शेयर को ट्रेड-टू-ट्रेड सेगमेंट में डालना, स्पेशल मार्जिन लगाना या फिर शेयर अथवा किसी मेंबर को अस्थायी रूप से सस्पेंड करना भी इसमें शामिल होता है। हर स्टॉक के लिए तय प्राइस बैंड इसलिए रखा जाता है, ताकि कीमत में अचानक और अत्यधिक उतार-चढ़ाव न हो। अगर किसी शेयर में जरूरत से ज्यादा वोलैटिलिटी नजर आती है, तो उस पर सख्त प्राइस बैंड लागू कर दिया जाता है।
प्राइस बैंड में बदलाव वाले 37 शेयर
स्पेशल मार्जिन कब लगाया जाता है
जब किसी शेयर की कीमत या उसके ट्रेडिंग वॉल्यूम में असामान्य तेजी या अचानक उछाल देखा जाता है, तो बीएसई स्पेशल मार्जिन भी लागू करता है। यह मार्जिन 25 फीसदी, 50 फीसदी या 75 फीसदी तक हो सकता है। इसका मकसद अफवाहों, अटकलों और सट्टेबाजी के चलते निवेशकों को होने वाले संभावित नुकसान से बचाना और बाजार में अनुशासन बनाए रखना होता है।
Disclaimer: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें। मनीकंट्रोल की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है।