दलहन के दाम MSP से नीचे गिरे है। चने का दाम अपने MSP से 2.4 फीसदी नीचे कामकाज कर रहा है जबकि मसूर अपने MSP से 8.6 फीसदी नीचे बना हुआ है। दलहन की MSP और दाम पर नजर डालें तो चने का MSP भाव 5650 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि इसका औसत मंडी भाव 5514 रुपये प्रति क्विंटल है। मसूर का MSP भाव 6700 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि इसका औसत मंडी भाव 6127 रुपये प्रति क्विंटल है।
दाल की कीमतों पर बात करते हुए AFTA के जनरल सेक्रेटरी सुनील बलदेवा ने कहा कि भारत को दाल का सस्ता इंपोर्ट नहीं चाहिए। 15 जून के बाद दालों की डिमांड बढ़ेगी। किसानों को जून, जुलाई, अगस्त में दालों के अच्छे भाव मिलेंगे। मटर पर 20-30% इंपोर्ट ड्यूटी लगाने की मांग कर रहे हैं। चने और मसूर पर इंपोर्ट ड्यूटी स्वागत योग्य है।
FTA में एग्री प्रोडक्ट शामिल नहीं!
इस बीच एग्री कमोडिटी से एक और अहम खबर सामने आई है। UK-भारत FTA में कमोडिटी प्रोडक्ट शामिल नहीं किया गया है। भारत ने घरेलू किसानों की सुरक्षा के लिए ये प्रोडक्ट डील से बाहर रखे हैं। सस्ते विदेशी सामान से भारतीय किसानों को नुकसान का डर है।
बता दें कि भारत ने घरेलू किसानों की सुरक्षा के लिए ये प्रोडक्ट डील से बाहर रखे। सस्ते विदेशी सामान से भारतीय किसानों को नुकसान का डर है। 2019 में RCEP से भी भारत ने इसी वजह से खुद को अलग किया था। कृषि क्षेत्र चुनावी रूप से संवेदनशील और राजनीतिक रूप से अहम है।
बता दें कि 2023-24 में भारत के एग्री एक्सपोर्ट में गिरावट देखने को मिली। 2023-24 में भारत का एग्री एक्सपोर्ट 52 बिलियन डॉलर से घटकर 48बिलियन डॉलर पर रहा था। FTA में प्रोसेस्ड और इंडस्ट्रियल गुड्स पर ज़ोर दिया है। थाईलैंड, ब्राज़ील जैसे देश प्रोसेस्ड एग्री-एक्सपोर्ट में आगे है। भारत को वैल्यू एडिशन और एग्रीटेक में निवेश की जरूरत है।
एग्री कमोडिटी एक्सपर्ट,सुमीत गुप्ता का कहना है कि कृषि क्षेत्र राजनीतिक रूप से अहम और संवेदनशील है। अमेरिका-ब्रिटेन की अधिकतर कृषि एक्सपोर्ट के लिए है। भारतीय कृषि प्रोडक्ट ज्यादातर खुद की खपत के लिए है। भारत बासमती और बफेलो मीट का बड़ा एक्सपोर्टर है।
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