चीन ने रेयर अर्थ के निर्यात पर नियंत्रण और सख्त कर दिया है। गुरुवार को चीन ने बिना मंजूरी विदेशी मदद पर रोक लगा दी। साथ ही चीन ने यह भी स्पष्ट किया कि वह डिफेंस और चिप यूजर्स को इसके निर्यात को सीमित करना चाहता है। मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स के ऐलान ने अप्रैल मे रेयर अर्थ के निर्यात पर सरकार के नियंत्रण को और स्पष्ट कर दिया और दायरा बढ़ा दिया। अप्रैल में किए गए ऐलान के बाद दुनिया भर में चिप की किल्लत हो गई थी और फिर यूरोप और अमेरिका के साथ कुछ समझौतों के बाद फिर से शिपमेंट शुरू हुए।
चीन के प्रतिबंधों का क्या है मतलब?
रेयर अर्थ मैग्नेट बनाने की तकनीक के निर्यात पर प्रतिबंधों का विस्तार अधिक प्रकार के चुंबकों तक किया जाएगा। रेयर अर्थ की रिसाइक्लिंग में इस्तेमाल होने वाले इक्विपमेंट्स को भी अब निर्यात के लिए लाइसेंस की जरूरत होगी। लाइसेंस की यह जरूरत उस लंबी लिस्ट में शामिल हो गई है, जिसमें चीन ने रेयर अर्थ की प्रतिबंधित प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजीज को रखा है। चीन के मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स का कहना है कि जो भी विदेशी मैन्युफैक्चरिंग कंपनी चीन का कोई भी कंपोनेंट या मशीनरी इस्तेमाल करती है, उसे कंट्रोल्ड आइटम्स के निर्यात के लाइसेंस के लिए आवेदन करना होगा।
इस ऐलान के तहत चीन ने रेयर अर्थ को लेकर जो प्रतिबंध लगाए थे, उसे पहली बार स्पष्ट किया गया। मंत्रालय का कहना है कि चीन के बाहर के डिफेंस यूजर्स को लाइसेंस नहीं दिए जाएंगे, जबकि एडवांस्ड सेमीकंडक्टर से जुड़े हर एप्लीकेशन पर केस के आधार पर ही मंजूरी दी जाएगी। चीन सरकार ने विदेशों में काम करने वाली चीन की ही कंपनियों को भी मंत्रालय की अनुमति के बिना विदेशी कंपनियों के साथ रेयर अर्थ पर काम करने से रोक दिया है।
रेयर अर्थ के लिए कितना अहम है चीन?
दुनिया भर का 60% माइन प्रोडक्शन चीन में होता है। साथ ही 90% प्रोसेस्ड और स्थायी चुंबक का प्रोडक्शन भी चीन से होता है। रेयर अर्थ के निर्यात पर चीन की सख्ती से दुनिया भर में हलचल इसलिए होने लगती है क्योंकि एक तो चीन इस फील्ड का लीडर है और दूसरे ये कि इलेक्ट्रिक गाड़ियों (EVs) से लेकर जहाजों के इंजन और सेना के रडार तक जैसे प्रोडक्ट्स के लिए यह अहम पार्ट है।