Crude Oil Price: कच्चे तेल की कीमतों में 4 दिनों से गिरावट का सिलसिला जारी । अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रूस से तेल खरीदारों पर ज्यादा टैरिफ लगाने की धमकी के बाद निवेशकों ने आगे बढ़कर सोचना शुरु कर दिया। बता दें कि 4 सत्रों में लगभग 8% की गिरावट के बाद ब्रेंट 68 डॉलर प्रति बैरल से नीचे कारोबार कर रहा था, जबकि वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट 65 डॉलर के करीब था। ट्रंप ने संकेत दिया कि वह मास्को से तेल खरीदने वाले देशों पर - संभवतः चीन सहित - बढ़े हुए शुल्क लगाएंगे, यह कहने के बाद कि वह जल्द ही भारत पर शुल्क बढ़ाएंगे।
अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ के इस हफ़्ते रूस की यात्रा करने की उम्मीद है, जो ट्रंप द्वारा 8 अगस्त को मास्को को यूक्रेन के साथ युद्धविराम समझौते पर पहुँचने की समय-सीमा से पहले है। क्रेमलिन युद्ध जारी रखने के अपने दृढ़ संकल्प के बावजूद, हवाई युद्धविराम सहित किसी रियायत के विकल्पों पर विचार कर रहा है।
3 महीनों की बढ़त के बाद तेल की कीमतों में गिरावट आई है, जिसका मुख्य कारण अमेरिका में विकास के लिए प्रतिकूल परिस्थितियां हैं जो ऊर्जा की माँग को प्रभावित कर सकती हैं। साथ ही ओपेक+ द्वारा उत्पादन प्रतिबंधों को वापस लेने का कदम भी है। पिछले सप्ताह ओपेक+ ने सितंबर से उत्पादन लगभग 547,000 बैरल प्रतिदिन बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की, जिससे यह चिंता बढ़ गई है कि इस छमाही में वैश्विक आपूर्ति खपत से आगे निकल जाएगी।
इस बीच, पेट्रोलियम उद्योग के अनुमानों ने अमेरिकी भंडारों में गतिविधियों की मिली-जुली तस्वीर पेश की है। पिछले सप्ताह देश भर में कच्चे तेल का भंडार 42 लाख बैरल कम हुआ, हालांकि ओक्लाहोमा के कुशिंग में प्रमुख केंद्र में तेल भंडार और आसुत भंडार में वृद्धि हुई। आधिकारिक विवरण बुधवार को बाद में जारी किया जाएगा।
भारत का रूस से क्रूड इंपोर्ट
2025 में अब तक 2024 से 1% ज्यादा क्रूड इंपोर्ट हुआ है। 1.75 मिलियन बैरल/दिन का क्रूड इंपोर्ट हुआ। जुलाई से रूस से क्रूड इंपोर्ट नहीं हो रहा है। अब तक रूस भारत को भारी छूट दे रहा था, लेकिन छूट 2022 के बाद सबसे कम होने इंपोर्ट बंद हुआ। जंग से पहले कुल इंपोर्ट का 0.2% था। जंग के दौरान कुल इंपोर्ट का 35-40% हिस्सा है।
रुस का तेल बाजार से हटा तो कीमतें आसमान पर पहुंच जाएगी
कच्चे तेल पर बात करते हुए एनर्जी एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा ने कहा कि भारत और अमेरिका पिछले 25-30 सालों से इंस्टीट्यूशनल तरीके से संबंधों में सुधार आया था बल्कि अभी भी दोनों देशों के इंस्टीट्यूशन रिलेशनशिप में कोई स्ट्रक्चरल डैमेज नहीं दिख रहा है। हालांकि ट्रंप ने काफी बयान दिए है, लेकिन बाजार उम्मीद लगा कर चल रहा है कि दोनों के देशों के संबंध व्यक्ति विशेष ना होकर देश के प्रति है।
हालांकि ट्रंप की तरफ से आ रहे बयान से एनर्जी सेक्टर में हलचल काफी ज्यादा है। ट्रंप की बयानबाजी से क्रूड का बाजार तनाव में है। भारत क्रूड का तीसरा बड़ा इंपोर्ट है। ट्रंप अगर अतिरिक्त टैरिफ लगाते हैं तो ग्लोबल अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल हो जाएगी। अमेरिका से भारत का गैस, क्रूड इंपोर्ट क्रिसमस तक 150 फीसदी बढेगा।
बाजार की मौजूदा व्यवस्था खुद अमेरिका की बनाई हुई है। भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने से सबसे ज्यादा नुकसान यूएस को होगा। अमेरिका में महंगाई बढ़ जाएगी।
नरेंद्र तनेजा ने आगे कहा कि रुस का तेल बाजार से हटा तो कीमतें आसमान पर पहुंच जाएगी। अगर ऐसे हालात बनते है कि रूस का कच्चा तेल अंतराष्ट्रीय बाजार में आना बंद हो जाता है या 70 फीसदी कम हो जाता है तो कच्चे तेल की कीमतें 120 डॉलर प्रति बैरल होना तय है और उसकी सबसे बड़ी मार अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर पड़ेगी।
नरेंद्र तनेजा ने आगे कहा कि अगर कोई टैरिफ नहीं लगता तो तेल की कीमतों में दबाव देखने को मिलेगा। आज के होराइजन से देखा जाए तो उम्मीद है कि कच्चे तेल की कीमतें 62 डॉलर प्रति औंस के आसपास तक गिरे।
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