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Gold ने 2025 में दिया 40% से ज्यादा रिटर्न, अगले साल तक कीमतें 1.25 लाख के पार जा सकती हैं

इस महीने अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के इंटरेस्ट रेट में कमी करने की काफी ज्यादा संभावना है। इंटरेस्ट रेट में कमी होने पर गोल्ड की चमक बढ़ती है। इस महीने फेडरल रिजर्व के इंटरेस्ट रेट घटाने की काफी ज्यादा संभावना है

अपडेटेड Sep 08, 2025 पर 5:24 PM
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इंटरेस्ट रेट घटने पर इनवेस्टर्स की दिलचस्पी गोल्ड में बढ़ जाती है।

गोल्ड ने पिछले 1-2 सालों में निवेश करने वाले लोगों को हैरान किया है। सिर्फ 2025 में इसका रिटर्न 40 फीसदी से ज्यादा है। अभी साल पूरे होने में 3 महीने से ज्यादा समय बचा है। अगर गोल्ड की कीमतें इसी रफ्तार से आगे भी भागती रहीं तो निवेशकों को साल के अंत में जश्न मनाने के बड़ा मौका मिल सकता है। दुनिया में जारी उथल-पुथल को गोल्ड में तेजी का कारण माना जा रहा है। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद से कई ऐसे फैसले लिए हैं, जिससे ग्लोबल इकोनॉमी में अनिश्चितता बढ़ी है।

अमेरिका में इंटरेस्ट रेट घटने से पहले गोल्ड में जारी रहेगी तेजी

एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस महीने अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) के इंटरेस्ट रेट में कमी करने की काफी ज्यादा संभावना है। अमेरिका में आई नई जॉब रिपोर्ट्स से पता चला है कि वहां उम्मीद के मुकाबले कम नई नौकरियों के मौके बने हैं। इसके मद्देनजर कुछ एक्सपर्ट्स ने इस साल इंटरेस्ट रेट में 75 बेसिस प्वाइंट्स तक की कटौती की उम्मीद जताई है। इंटरेस्ट रेट में कमी होने पर Gold की चमक बढ़ जाती है।


कई देशों के केंद्रीय बैंक गोल्ड में बढ़ा रहे निवेश

पिछले कुछ हफ्तों से गोल्ड की कीमतों में जारी उछाल की वजह अमेरिका में इंटरेस्ट में कमी की उम्मीद बताई जा रही है। इंटरेस्ट रेट घटने पर इनवेस्टर्स की दिलचस्पी गोल्ड में बढ़ जाती है। इनवेस्टर्स कम रिटर्न वाले बॉन्ड्स से पैसे निकाल सोने और शेयरों में लगाने लगते हैं। इससे सोने की कीमतें बढ़ने लगती हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि दुनिया में कई देशों के केंद्रीय बैंक लगातार गोल्ड में निवेश कर रहे हैं। इनवेस्टर्स भी जियोपॉलिटिकल टेंशन को देखते हुए सुरक्षा के लिए गोल्ड में निवेश कर रहे हैं।

कई छोटे देश भी गोल्ड में कर रहे ज्यादा निवेश

गोल्ड में केंद्रीय बैंकों का निवेश यूएस ट्रेजरी (अमेरिकी बॉन्ड्स) से ज्यादा हो गया है। 1996 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है। इसका सीधा असर गोल्ड की कीमतों पर पड़ा है। दो हफ्तों से कम समय में गोल्ड बीते पांच महीने के कंसॉलिडेशन फेज से बाहर निकल गया है। खास बात यह कि छोटे देशों के केंद्रीय बैंक भी गोल्ड में निवेश बढ़ा रहे हैं। हाल में अल साल्वाडोर के केंद्रीय बैंक ने 5 करोड़ डॉलर के गोल्ड खरीदने के बारे में बताया है। पोलैंड का केंद्रीय बैंक भी लगातार गोल्ड में निवेश कर रहा है। पोलैंड अपने केंद्रीय बैंक के गोल्ड में निवेश की लिमिट 20 फीसदी से बढ़ाकर 30 फीसदी करने पर विचार कर रहा है।

अगस्त में लगातार तीसरे महीने गोल्ड ईटीएफ में जबर्दस्त निवेश

दुनियाभर में इनवेस्टर्स भी गोल्ड में निवेश करने के मामले में पीछे नहीं हैं। अगस्त में दुनिया में गोल्ड ईटीएफ में 5.5 अरब डॉलर का निवेश हुआ है। यह लगातार तीसरा महीना है, जब गोल्ड ईटीएफ में जबर्दस्त निवेश आया है। इस निवेश में उत्तर अमेरिका और यूरोप के इनवेस्टर्स सबसे आगे हैं। अब तक उन्होंने इस साल 4.7 अरब डॉलर का निवेश किया है, जिससे 2025 साल 2020 के बाद गोल्ड में सबसे ज्यादा निवेश वाला दूसरा साल बन गया है।

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अगले साल 4000 डॉलर के पार होगा गोल्ड

गोल्ड में इनवेस्टर्स की बढ़ती दिलचस्पी की वजह से गोल्ड ईटीएफ का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) बढ़कर 407 अरब डॉलर पहुंच गया है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक, गोल्ड ईटीएफ की गोल्ड होल्डिंग 3,692 टन पहुंच गया है। इससे गोल्ड ईटीएफ की गोल्ड होल्डिंग नवंबर 2020 के 3,9219 टन के ऑल-टाइम हाई से सिर्फ 6 फीसदी कम रह गई है। एनालिस्ट्स का मानना है कि वैश्विक अर्थव्यवस्थआ में अनिश्चितता को देखते हुए गोल्ड के 4,000 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच जाने की उम्मीद है। गोल्डमैन सैक्स का कहना है कि अगले साल के मध्य तक गोल्ड 4,000 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच जाएगा। इसका मतलब है कि इंडिया में कीमत 1.27 लाख प्रति 10 ग्राम तक पहुंच जाएगी।

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