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टैरिफ वॉर से मची उथलपुथल तो निवेशक सोने में तलाशने लगे पनाह, एक हफ्ते में 6% से ज्यादा चढ़कर रिकॉर्ड हाई पर

निवेशक अमेरिकी एसेट्स में सेलिंग कर निवेश के लिहाज से सेफ माने जाने वाले गोल्ड में पैसे लगा रहे हैं। भूराजनीति​क तनाव, महंगाई, आर्थिक अस्थिरता, डॉलर और शेयर बाजार में कमजोरी के बीच निवेशक सोने में निवेश को सुरक्षित मानने लगते हैं

Ritika Singhअपडेटेड Apr 13, 2025 पर 4:53 PM
टैरिफ वॉर से मची उथलपुथल तो निवेशक सोने में तलाशने लगे पनाह, एक हफ्ते में 6% से ज्यादा चढ़कर रिकॉर्ड हाई पर
शुक्रवार को दिल्ली के सराफा बाजार में सोने का भाव 6,250 रुपये उछलकर 96,450 रुपये प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया

अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड को लेकर टेंशन बढ़ने से मजबूत सुरक्षित निवेश विकल्प के तौर पर सोने की मांग में इजाफा हुआ है। इसके चलते बीते सप्ताह वैश्विक स्तर पर सोने की कीमत में 6.5 प्रतिशत की तेजी आई और शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सोने का हाजिर भाव (Spot Gold Price) 3,237.39 डॉलर प्रति औंस के नए पीक पर पहुंच गया। बाद में यह 3,222.04 डॉलर प्रति औंस पर आ गया। इसके अलावा, एशियाई बाजार में कॉमेक्स सोना वायदा बढ़कर 3,249.16 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया।

अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कीमतें बढ़ने और लोकल लेवल डिमांड बढ़ने से देश के अंदर भी सोने की कीमत बढ़ी। शुक्रवार को दिल्ली के सराफा बाजार में सोने का भाव 6,250 रुपये उछलकर 96,450 रुपये प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया। टैरिफ वॉर की बढ़ती चिंताओं और वैश्विक आर्थिक नरमी की आशंका के कारण अमेरिकी डॉलर इंडेक्स 100 अंक से नीचे आ गया। डॉलर, यूरो के मुकाबले 3 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है। अमेरिकी शेयरों और ट्रेजरी बॉन्ड में बड़ी बिकवाली शुरू हो गई। निवेशक अमेरिकी एसेट्स में सेलिंग कर निवेश के लिहाज से सेफ माने जाने वाले गोल्ड में पैसे लगा रहे हैं।

अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वॉर के ताजा हालात की बात करें तो अमेरिका ने चीनी सामान पर टैरिफ बढ़ाकर 145 प्रतिशत कर दिए हैं। इनमें 125 प्रतिशत का रेसिप्रोकल टैरिफ और 20 प्रतिशत के वे अलग टैरिफ हैं, जो फेंटेनाइल की सप्लाई में चीन की कथित बड़ी भूमिका को लेकर इस साल की शुरुआत में लगाए गए थे। वहीं चीन ने भी अमेरिकी सामान पर टैरिफ को बढ़ाकर 125 प्रतिशत कर दिया है। हालांकि एक अपडेट यह भी है कि, स्मार्टफोन, कंप्यूटर समेत कुछ कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स को अमेरिका ने रेसिप्रोकल टैरिफ से बाहर रखा है। इसके चलते चीन में बनकर अमेरिका आने वाले स्मार्टफोन, टैब, कंप्यूटर आदि पर भी 125 प्रतिशत का रेसिप्रोकल टैरिफ लागू नहीं होगा। हालांकि 20 प्रतिशत का अलग से लगा टैरिफ बरकरार रहेगा।

केंद्रीय बैंक और ETF कर रहे डिमांड की अगुवाई

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