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Gold Prices Today : गोल्ड 11 महीने में सबसे सस्ता, सिल्वर में भी बड़ी गिरावट, जानिए क्या हैं नई कीमतें

एमसीएक्स (MCX) पर गोल्ड फ्यूचर्स 1.25 फीसदी कमजोर होकर 50,168 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बना हुआ है। वहीं सिल्वर फ्यूचर्स लगभग 4 फीसदी की गिरावट के साथ 54,953 रुपये प्रति किग्रा के स्तर पर बना हुआ है

अपडेटेड Jul 14, 2022 पर 11:45 PM
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इस महीने की शुरुआत में इम्पोर्ट ड्यूटी में बढ़ोतरी के बाद सोने की कीमतें 52,300 रुपये प्रति 10 ग्राम की ऊंचाई पर पहुंच गई थीं, हालांकि बाद में इसमें बिकवाली हावी हो गई

Gold prices Today : अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गुरुवार को सोने की कीमतें 11 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गईं। अमेरिका में मॉनेटरी पॉलिसी में सख्ती की उम्मीद के चलते अमेरिकी डॉलर में जारी मजबूती का असर पीली धातु पर दिख रहा है। ग्लोबल मार्केट में सोना 1.5 फीसदी कमजोर होकर 1,710 डॉलर प्रति औंस पर आ गया। वहीं हाजिर चांदी 2.2 फीसदी कमजोर होकर 18.76 डॉलर प्रति औंस रह गई।

सोने और चांदी में बड़ी गिरावट

एमसीएक्स (MCX) पर शाम लगभग 8 बजे गोल्ड फ्यूचर्स 1.25 फीसदी कमजोर होकर 50,168 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बना हुआ है, जो लगभग 2 महीने का निचला स्तर है। वहीं सिल्वर फ्यूचर्स लगभग 4 फीसदी की गिरावट के साथ 54,953 रुपये प्रति किग्रा के स्तर पर बना हुआ है। इस महीने की शुरुआत में इम्पोर्ट ड्यूटी में बढ़ोतरी के बाद सोने की कीमतें 52,300 रुपये प्रति 10 ग्राम की ऊंचाई पर पहुंच गई थीं, हालांकि बाद में इसमें बिकवाली हावी हो गई।


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सोने की कीमतों पर क्यों है दबाव

कुछ ट्रेडर्स अटकलें लगा रहे हैं कि यूएस फेड 26-27 जुलाई को होने वाली अपनी आगामी पॉलिसी मीटिंग में ब्याज दरों में 100 बेसिस प्वाइंट्स यानी 1 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकता है। बुधवार को जारी डाटा से पता चलता है कि जून में अमेरिका में खुदरा महंगाई (consumer prices) में 9.1 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जो चार दशक से ज्यादा वक्त में सबसे बड़ी उछाल है।

सोने पर जहां ब्याज दरों में बढ़ोतरी से दबाव बना हुआ है। वहीं डॉलर इंडेक्स भी 20 साल की ऊंचाई पर है।

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क्यों यूएस डॉलर में जारी है मजबूती

कोटक सिक्योरिटीज ने एक नोट में कहा, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के कारण यूएस डॉलर पसंदीदा एसेट क्लास बना हुआ है। इससे उसकी सेफ हैवेन अपील बढ़ गई है। वहीं फेड के ब्याज दरें बढ़ाने के बाद दूसरे सेंट्रल बैंक भी सख्ती कर सकते हैं। महंगाई के ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि अभी महंगाई के अपने पीक पर पहुंचने के कोई संकेत नहीं है और सेंट्रल बैंक को आक्रामक रूप से दरें बढ़ानी पड़ सकती हैं।

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