Heat Wave Commodity Impact :123 सालों में सबसे गर्म साल 2024 रहा। 1901 के बाद देश में सबसे ज्यादा गर्मी पड़ी थी। तापमान औसत से 0.65 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा। अब तक की सबसे लंबे हीट वेव का सामना किया है। तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के पार निकला। जलवायु परिवर्तन के कारण पारा चढ़ा है।
IMD ने कहा कि अक्टूबर-दिसंबर सबसे ज्यादा गर्म रहा। अक्टूबर 123 सालों में सबसे ज्यादा गर्म महीना रहा। 1901-2020 की तुलना में 2024 में गर्मी बढ़ी जबकि तापमान 0.65 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। 2016 की तुलना में सालाना औसत तापमान बढ़ा है।
अब 2025 के लिए IMD ने अनुमान जारी किया है। IMD ने कहा कि जनवरी में तापमान ज्यादा रहने की आशंका है। देश के ज्यादातर हिस्से में पारा ज्यादा संभव है। वहीं मार्च में उत्तर भारत में कम बारिश होगी। बारिश LPA के 86% से कम बारिश की आशंका है।
ऐसे में भारत के लिए जलवायु परिवर्तन बड़ी चुनौती खड़ी कर रहा है। बाढ़, सूखा, चक्रवात तूफान की संख्या बढ़ी है। खेती, आम जनजीवन पर गंभीर असर संभव है। 2024 में सबसे ज्यादा हीट वेव देखने को मिला है। देश ने भीषण बाढ़, सूखे का सामना किया है।
देश को अब ग्रीन स्टील की जरुरत
SAPC के चेयरमैन पाशा पटेल का कहना है कि 2000 साल में पृथ्वी 0.50 प्रतिशत गर्म हुई थी। पिछले 150 सालों में धरती का तापमान 1.50% बढ़ा है। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है, वैसे वैसे लोगों के AC की जरूरत पढ़ रही है। कोयला दोगुनी मात्रा में जलाया जा रहा है । 2024 में 41 दिन हीट वेव चले थे। कोल आधारित थर्मल प्लांट को बंद करना होगा। 1 टन स्टील बनाने में 9 टन कार्बन निकलता है। UK में 80% बिजली सप्लाई करने वाला थर्मल प्लांट बंद किया। NTPC सोलापुर के थर्मल प्लांट को बायोमास पर चलाने का प्लान है। 4 जनवरी को सोलापुर में मीटिंग करेंगे।
पाशा पटेल ने आगे कहा कि सरकार के थर्मल प्लांट में 5% बायोमास के यूज के प्लान पर अमल करना चाहिए। अब 5% नहीं 25% बायोमास के यूज करना चाहिए। देश को अब ग्रीन स्टील की जरूरत है। महाराष्ट्र सरकार ने ग्रीन महाराष्ट्र बनाने का प्लान है। 21 लाख हेक्टेयर पेड़-पौधे लगाने का निर्णय किया है। 1 लाख हेक्टेयर बांस लगाने के लिए `7 लाख अनुदान भी दे रहे हैं।
बांस की इंडस्ट्रियल पॉलिसी भी सरकार ने बनाई है। देश में बांस की खेती को बढ़ावा देने की जरूरत है। देश में प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने की जरूरत है। जलवायु परिवर्तन की रोकथाम पर बात नहीं काम करना होगा तापमान बढ़ने के कारण ग्लेशियर पिघल रहे हैं। IPCC के सुझावों पर काम करना होगा।
पाशा पटेल ने आगे कहा कि प्लास्टिक की जगह बांस के चीजों का उपयोग करेंगे। NTPC का एक थर्मल बायोमास पर चलाने का प्लान है। महाराष्ट्र सरकार बांस को बढ़ावा दे रही है। वर्ल्ड बैंक से 10000 करोड़ बांस की लागत और प्रोसेसिंग के लिए बात कही है। महाराष्ट्र सरकार के सभी थर्मल प्लांट में 5% बायोमास का यूज जरूर करेंगे।
स्काईमेट के वीपी महेश पलावत का कहना है कि हर साल पारा बढ़ रहा है। एल नीनो के कारण भी देश का तापमान बढ़ा है। पूरी धरती का तापमान बढ़ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग रोकने के लिए पॉलिटिकल विल की जरूरत है। देश में ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने की जरूरत है। गर्मी के कारण जंगलों में भी आग लग जाती है। ग्लेशियर भी तेजी से पिघल रहे हैं। थर्मल प्लांट बंद हो रहे हैं लेकिन गति धीमी है।
उन्होंने आगे कहा कि मौसम में काफी तेजी से बदलाव हो रहा है। ठंड कम हो रही है और गर्मी धीरे धीरे बढ़ रही है। 2025 में भी गर्मी ज्यादा पड़ने की आशंका है। देश में पेड़ पौधे लगाने को बढ़ावा देने की जरूरत है। कम शुरू हो तो भी बदलाव में 5-10 साल लगेंगे। पिछले साल जनवरी में बर्फबारी हुई थी। क्लाइमेट बदल रहा है। समुद्र का जलस्तर बढ़ेगा। 2025 भी इसी तरह जाएगा।