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Windfall Gains Tax: सरकार ने पेट्रोलियम क्रूड पर विंडफॉल गेन्स टैक्स घटाया, नई दर 15 जून से लागू

Windfall Gains Tax on Petroleum Crude: पिछले दो सप्ताह में तेल की औसत कीमतों के आधार पर हर 15 दिनों पर विंडफॉल गेन्स टैक्स की रेट का रिव्यू किया जाता है। यह टैक्स विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क के रूप में लगाया जाता है। इससे पहले सरकार ने 1 जून को पेट्रोलियम क्रूड पर विंडफॉल गेन्स टैक्स को 5,700 रुपये से घटाकर 5,200 रुपये प्रति मीट्रिक टन कर दिया था

Edited By: Moneycontrol Newsअपडेटेड Jun 15, 2024 पर 7:43 AM
Windfall Gains Tax: सरकार ने पेट्रोलियम क्रूड पर विंडफॉल गेन्स टैक्स घटाया, नई दर 15 जून से लागू
डीजल, पेट्रोल और जेट ईंधन या ATF के निर्यात पर SAED को शून्य पर बरकरार रखा गया है।

Windfall Gains Tax: सरकार ने पेट्रोलियम क्रूड पर अप्रत्याशित लाभ कर यानि कि विंडफॉल गेन्स टैक्स घटा दिया है। 14 जून को जारी नोटिफिकेशन के अनुसार, पेट्रोलियम क्रूड पर विंडफॉल गेन्स टैक्स को 5,200 रुपये प्रति मीट्रिक टन से घटाकर 3,250 रुपये प्रति मीट्रिक टन कर दिया गया है। नई दरें 15 जून 2024 से लागू होंगी। यह टैक्स विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (SAED) के रूप में लगाया जाता है। आधिकारिक नोटिफिकेशन के अनुसार, डीजल, पेट्रोल और जेट ईंधन या ATF के निर्यात पर SAED को शून्य पर बरकरार रखा गया है।

पिछले दो सप्ताह में तेल की औसत कीमतों के आधार पर हर 15 दिनों पर विंडफॉल गेन्स टैक्स की रेट का रिव्यू किया जाता है। इससे पहले सरकार ने 1 जून को पेट्रोलियम क्रूड पर विंडफॉल गेन्स टैक्स को 5,700 रुपये से घटाकर 5,200 रुपये प्रति मीट्रिक टन कर दिया था। डीजल पर विंडफॉल गेन्स टैक्स को शून्य पर बरकरार रखा गया था। पेट्रोल और एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF) पर भी यह टैक्स शून्य रहने का ऐलान किया गया था।

1 जुलाई 2022 से लागू है विंडफॉल गेन्स टैक्स

सरकार के क्रूड ऑयल प्रोडक्शन और गैसोलीन, डीजल और एविएशन फ्यूल के निर्यात पर विंडफॉल गेन्स टैक्स लगाना शुरू करने का मकसद प्राइवेट रिफाइनिंग कंपनियों को मैनेज करना था, जो मजबूत रिफाइनिंग मार्जिन से लाभ उठाने के लिए इंडियन मार्केट में अपने प्रोड्क्टस बेचने की जगह उन्हें एक्सपोर्ट करती हैं। अगर ऑयल कंपनियां 75 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा पर कच्चे तेल की बिक्री करती हैं, तो इससे हासिल होने वाले प्रॉफिट पर यह टैक्स लगता है। वहीं डीजल, एटीएफ और पेट्रोल के निर्यात के लिए यह लेवी तब लागू होती है, जब मार्जिन 20 डॉलर प्रति बैरल से अधिक हो जाता है।

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