डॉलर में कमजोरी के कारण कमोडिटी बाजार चढ़ेंगे, अगर सोने में निवेश किया है तो अब चांदी भी खरीदें : एन जयकुमार
Commodity : अब चीन की अर्थव्यवस्था में सुधार दिख रहा है। चीन की सरकार ने कई अहम फैसले लिए हैं। चीन की सरकार ने हाउसिंग को बढ़ावा दिया है। इलेक्ट्रिफिकेशन और दूसरी चीजों को भी बढ़ावा दिया है। इन फैसलों से चीन में कमोडिटी को आधार मिल रहा है
एन जयकुमार ने कहा कि अगर कमोडिटी समझ में नहीं आती तो जानकारों की मदद लें। निवेश के लिए मदद लेने में कोई बुराई नहीं है। दिमाग में शक की कोई जगह नहीं होनी चाहिए
Commodity markets : कमोडिटी बाजार पर प्राइम सिक्योरिटीज के मैनेजिंग डायरेक्टर एन जयकुमार ने सीएनबीसी-आवाज के साथ एक खास बातचीत की। इस बातचीत में एन जयकुमार ने कमोडिटी बाजार पर अपनी राय देते हुए बताया कि कमोडिटी में कब, कैसे निवेश किया जाए? पोर्टफोलियो में सोने की कितनी हो हिस्सेदारी और कमोडिटी में निवेश की कैसे बनाएं स्ट्रैटेजी? यहां आपके लिए हम इस बातचीत का संपादित अंश दे रहे हैं-
डॉलर और कमोडिटी एक ही सिक्के के दो पहलू
एन जयकुमार ने कहा कि इस साल इक्विटी, कमोडिटी, डॉलर सभी में अब तक तेजी रही। 2024 में कमोडिटी की मांग और सप्लाई को आप कैसे देखते हैं? इस सवाल के जवाब में एन जयकुमार ने कहा कि डॉलर और कमोडिटी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इस साल कमोडिटी में दुनिया विकल्प देख रही है। सोना, चांदी के अलावा दूसरी कमोडिटी में भी तेजी आई है। 2-3 साल पहले EV और ग्रीन एनर्जी की ट्रेंड शुरू हुआ है। कमोडिटी में तेजी का रुझान पहले ही बन चुका था। कमोडिटी के लिए चीन सबसे बड़ा खरीदार है। 2-3 साल पहले चीनी अर्थव्यवस्था की स्थिति खराब थी।
अर्थव्यवस्था में गिरावट से चीन से मांग नहीं आई थी। बाजार को चीन से मांग बढ़ने की उम्मीद थी। अब चीन की अर्थव्यवस्था में सुधार दिख रहा है। चीन की सरकार ने कई अहम फैसले लिए हैं। चीन की सरकार ने हाउसिंग को बढ़ावा दिया है। इलेक्ट्रिफिकेशन और दूसरी चीजों को भी बढ़ावा दिया है। इन फैसलों से चीन में कमोडिटी को आधार मिल रहा है। कई कारणों से इस साल सप्लाई में दिक्कतें दिखीं। पोर्ट बंद होने से इंपोर्ट-एक्सपोर्ट में परेशानी आई। ग्लोबल स्तर पर कई माइन इस साल बंद हुए।
अचानक मांग बढ़ने से मेटल्स की कीमतों में तेजी आई
कई कंपनियों पर ESG कंप्लायंस के लिए दबाव बना। ESG कंप्लायंस के लिए कंपनियों ने माइन बंद किए। बाजार में ESG के बाद अब EV का ट्रेंड है। EV के लिए एनर्जी, फ्यूल की मांग ज्यादा बढ़ी है। EV के लिए इंडस्ट्रियल मेटल्स की मांग भी बढ़ी है। अचानक मांग बढ़ने से मेटल्स की कीमतों में तेजी आई है। चीन से मांग आने से भी मेटल्स को सपोर्ट मिला है। सप्लाई की दिक्कतों ने भी मेटल्स को सपोर्ट दिया है। मेटल्स में आगे भी तेजी जारी रहने की उम्मीद है। मेटल्स में निवेश से निवेशकों को फायदा होगा। कमोडिटी में निवेश के लिए कई ओवरसीज फंड बने हैं। बाजार में अनुमान से ज्यादा तेजी आ सकती है
कमोडिटी बाजार में तेजी जारी रहने की उम्मीद
मेटल्स में आप यहां से कितनी बड़ी तेजी की उम्मीद कर रहे हैं? इसके जवाब में एन जयकुमार ने कहा कि भारत में बेस मेटल्स में लोगों का निवेश कम है। भारत में सोने, चांदी में ज्यादा निवेश होता है। देश में सोने की मांग हमेशा बनी रहेगी। दूसरे देशों में कमोडिटी में निवेश के कई विकल्प मौजूद हैं। हमारे बाजार में कमोडिटी में निवेश के विकल्प कम हैं। कमोडिटी में कारोबार करने वाली कंपनियों में निवेश करें। कमोडिटी में तेजी का असर शेयरों में दिखता है।
भारतीय कमोडिटी बाजार में अब भी कई संभावनाएं हैं। कमोडिटी में निवेश करने की सलाह है। सोने, चांदी की कीमतों में भी तेजी की उम्मीद है। माइनिंग का सीधा ताल्लुक फिजिकल मार्केट से होता है। कच्चे तेल का फ्यूचर्स मार्केट फिजिकल से 50 गुना बड़ा है। चांदी में और तेजी आने से माइनिंग भी बढ़ेगी। इक्विटी में भाव चढ़ने पर मांग भी बढ़ जाती है। कमोडिटी और इक्विटी दोनों एक दम अलग बाजार हैं। डॉलर इंडेक्स 100-104 के बीच है। बाजार दायरे में रहेगा। डॉलर इंडेक्स 100 के नीचे जाने पर बाजार में अंधाधुंध तेजी आएगी। कमोडिटी बाजार में तेजी जारी रहने की उम्मीद है।
पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन के लिए सोना जरूरी
क्या आपको लगता है कि लोगों का कमोडिटी की तुलना में इक्विटी में रुझान ज्यादा है? इस पर बात करते हुए एन जयकुमार ने कहा कि भारत में सोने की मांग हमेशा बनी रहती है। त्योहारों, दूसरे मौकों पर सोना खरीदा जाता है। पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन के लिए सोना जरूरी है। देश में सोने के सिक्के खरीदने का भी चलन है। RBI ने भी सोने की खरीदारी बढ़ाई है। इक्विटी को पहले सट्टा बाजार की तरह देखा जाता था। सोने को हमेशा से भरोसे के प्रतीक की तरह देखा गया। शादियों में सोने की बिक्री बढ़ जाती है। सोने को छोड़कर दूसरी कमोडिटी में निवेश कम है। लोगों को कमोडिटी में जरूर निवेश करना चाहिए। कमोडिटी और इक्विटी में मिलाकर निवेश करने से फायदा ज्यादा होता है।
कमोडिटी बाजार में रुझान बढ़ाने की जरूरत
निवेशकों के पोर्टफोलियो में आप कमोडिटी की हिस्सेदारी को कैसे देखते हैं? लोगों में कमोडिटी को लेकर समझ कैसी है? इसके जवाब में एन जयकुमार ने कहा कि कमोडिटी में निवेश के लिए बाजार की समझ होना बहुत जरूरी है। बिना समझे निवेश करना सही साबित नहीं होता है। लोगों में कमोडिटी बाजार को लेकर समझ कम है। इक्विटी और डेट को लेकर लोगों में समझ कमोडिटी से ज्यादा है। कमोडिटी बाजार में रुझान बढ़ाने की जरूरत है। वेल्थ मैनेजर्स में भी कमोडिटी को लेकर जानकारी कम है। जानकारी बढ़ने पर कमोडिटी बाजार में रुझान बढ़ेगा।
डॉलर में कमजोरी के कारण कमोडिटी बाजार चढ़ेंगे
2024 में इक्विटी, कमोडिटी के लिए साल किस तरफ जा रहा है? इस सवाल के जवाब में एन जयकुमार ने कहा कि इस साल डॉलर की चाल बहुत सीमित रहेगी। इस साल अमेरिका में 5 बार दरें नहीं घटेंगी। बाजार मान रहा है कि इस साल US में दरें नहीं बढ़ेंगी। इस साल दुनिया के कई देशों में चुनाव हैं। अमेरिका में ब्याज दरें घटेंगी ये तय है, भले थोड़ी देर लगे। डॉलर में कमजोरी के कारण कमोडिटी बाजार चढ़ेंगे। अगर सोने में निवेश किया है तो अब चांदी भी खरीदें। मैन्युफैक्चरिंग बढ़ने से कमोडिटी बाजार में तेजी आएगी। चीन में हालात सुधरने से बाजार में और तेजी आएगी। सिल्वर, कॉपर, एल्युमिनियम में तेजी आने की उम्मीद है। क्लीन एनर्जी के कारण इंडस्ट्रियल मेटल्स की मांग बढ़ेगी। दुनिया के मुकाबले भारतीय इक्विटी बाजार का वैल्यूएशन ज्यादा है।
बड़ी संख्या में शेयरों की चाल कमोडिटी पर निर्भर
आप कमोडिटी बाजार को कब कब देखते हैं? इस पर एन जयकुमार ने कहा कि बड़ी संख्या में शेयरों की चाल कमोडिटी पर निर्भर होती है। शेयरों में निवेश से पहले कमोडिटी बाजार को भी देखना चाहिए। कोई चीज चढ़ रही है तो ये जरूरी नहीं कि वो पोर्टफोलियो में हो। हर गिरावट पर बिकवाली करना भी सही रणनीति नहीं है।
अगर चांदी के दाम चढ़ रहे हैं तो क्या लोगों को उसमें निवेश करना चाहिए? इस पर एन जयकुमार ने कहा कि अगर कमोडिटी समझ में नहीं आती तो जानकारों की मदद लें। निवेश के लिए मदद लेने में कोई बुराई नहीं है। दिमाग में शक की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। बाजार में 35-38 सालों हूं इस लिए चीजें समझ में आती हैं।
कमोडीटी बुल रन में हैं। दुनिया के मुकाबले भारतीय बाजार को कैसे देखते हैं? इस पर अपनी बात रखते हुए एन जयकुमार ने कहा कि मेक इन इंडिया से बाजार को फायदा हुआ है। चाइना प्लस वन से भी भारत को फायदा हुआ है। यूरोप के मुकाबले US में कॉपर के दाम दोगुने हैं। यूरोप में स्टील का भाव $1100-1200/टन है। अमेरिका में स्टील का भाव $1600-1700/टन है। सिर्फ कीमतों में तेजी को देखकर निवेश न करें। भारतीय कमोडिटी बाजार में कई संभावनाएं हैं। PLI भी भारतीय कमोडिटी बाजार के लिए अच्छी है। तकनीक के आने से नौकरियों की संख्या घट रही है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में नौकरियां मिलने की बड़ी संभावना है। भारतीय बाजार में कमोडिटी की मांग बढ़ने वाली है। लोगों को कमोडिटी बाजार में जरूर निवेश करना चाहिए
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