भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें अब केवल ईंधन भरवाने तक सीमित नहीं रह गई हैं, बल्कि ये हर आम आदमी की जिंदगी से गहराई से जुड़ चुकी हैं। आज इनकी बढ़ती या घटती दरें सीधे तौर पर घर के मासिक बजट, दैनिक खर्च और जीवनशैली को प्रभावित करती हैं। चाहे ऑफिस जाने की बात हो, बच्चों को स्कूल छोड़ने की, या फिर बाजार से जरूरी सामान लाने की—हर छोटी-बड़ी गतिविधि अब फ्यूल की कीमतों पर निर्भर करती है। यही वजह है कि पेट्रोल-डीजल अब सिर्फ एक प्रोडक्ट नहीं, बल्कि एक आर्थिक संकेतक बन गए हैं,