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Rice Export: नॉन-बासमती का होगा ड्यूटी फ्री एक्सपोर्ट, क्या एक्सपोर्ट में आएगी गिरावट

Rice Export:सरकार नॉन बासमती चावल (non-basmati rice export) के ड्यूटी फ्री एक्सपोर्ट को मंजूरी दे दी है। अब इस किस्म के चावल के निर्यात की अनुमति वाणिज्य मंत्रालय की शाखा एपीडा (APEDA) में रजिस्ट्रेशन के बाद ही दी जाएगी। यह प्रक्रिया बासमती चावल के निर्यात की तरह ही है

अपडेटेड Sep 25, 2025 पर 4:50 PM
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विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने एक अधिसूचना में कहा, नॉन-बासमती चावल की निर्यात नीति में एक अतिरिक्त नीतिगत शर्त जोड़कर संशोधन किया गया है।

Rice Export:सरकार नॉन बासमती चावल (non-basmati rice export) के ड्यूटी फ्री एक्सपोर्ट को मंजूरी दे दी है। अब इस किस्म के चावल के निर्यात की अनुमति वाणिज्य मंत्रालय की शाखा एपीडा (APEDA) में रजिस्ट्रेशन के बाद ही दी जाएगी। यह प्रक्रिया बासमती चावल के निर्यात की तरह ही है। रजिस्ट्रेशन के लिए 8 रुपये प्रति टन का शुल्क लगेगा। इसके बाद रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट ऑनलाइन जारी किए जाएंगे।

विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने एक अधिसूचना में कहा, नॉन-बासमती चावल की निर्यात नीति में एक अतिरिक्त नीतिगत शर्त जोड़कर संशोधन किया गया है। इसके अनुसार नॉन-बासमती चावल का निर्यात केवल एपीडा के साथ कॉन्ट्रैक्ट के रजिस्ट्रेशन के बाद ही संभव होगा।

सूचना के मुताबिक नॉन-बासमती चावल (ITC HS Code 1006 3011, 1006 3019, 1006 3091, 1006 3099, 1006 4000) का निर्यात अब फ्री पॉलिसी के तहत रहेगा, लेकिन इसमें यह अतिरिक्त शर्त जोड़ दी गई है कि सभी कॉन्ट्रैक्ट्स को एपीडा (APEDA) के साथ रजिस्टर कराना होगा। इसके बिना निर्यात की अनुमति नहीं दी जाएगी।


बता दें कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है। खासतौर पर गैर-बासमती चावल की बड़ी मांग अफ्रीकी और एशियाई देशों में है। यह सस्ता होने के साथ-साथ बड़े पैमाने पर लोगों की खपत को पूरा करता है। भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गैर-बासमती चावल का योगदान अहम है।

इस खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए एग्री कमोडिटी एक्सपर्ट राजेश पहाड़िया ने कहा कि मॉनिटिरिंग के कारण नोटिफिकेशन लागू नहीं हुआ। पहले नॉन बासमती में कोई चार्ज नहीं लगा था। लेकिन सरकार के फैसले से नॉन-बासमती एक्सपोर्टर्स को APEDA को 8/टन की फीस देनी होगी। बासमती के लिए 20 रुपये प्रति टन से ज्यादा फीस लगती है।

सरकार इस पैसे का इस्तेमाल नॉन-बासमती डेवलपमेंट फंड बनाने में करेंगी। क्योंकि ट्रेड प्रमोशन, दूसरी सुविधाओं के लिए फंड जरूरी है। उन्होंने आगे कहा कि विदेशों में भारतीय चावल की अच्छी मांग है। डॉलर की मजबूती का असर कारोबार पर पड़ रहा है। राजेश पहाड़िया ने कहा कि FY25 के अंत तक 15 मिलियन टन नॉन-बासमती एक्सपोर्ट की उम्मीद है।

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