Silver price : चांदी की कीमतें 52.50 डॉलर प्रति औंस से ऊपर के ऑलटाइम हाई को छू गईं हैं। लंदन में ऐतिहासिक शॉर्ट स्क्वीज़ ने उस रैली को तेजी दी है जो सेफ-हेवन असेट्स की बढ़ती मांग के चलते देखने को मिला है। लंदन में चांदी की हाजिर कीमतें 0.4% बढ़कर 52.5868 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गईं। इसकी कीमतें जनवरी 1980 में शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड की देख-रेख में अब बंद हो चुके एक कॉन्ट्रैक्ट के हाई को पार कर गई। उस समय अरबपति हंट बंधुओं ने बाजार पर कब्ज़ा करने की कोशिश की थी। सोना भी लगातार आठ हफ़्तों की बढ़त के साथ एक और रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है।
लंदन में नकदी की कमी की चिंताओं ने दुनिया भर में चांदी की मांग बढ़ा दी है। इसके चलते न्यूयॉर्क में इसकी बेंचमार्क कीमतें लगभग अभूतपूर्व स्तर तक पहुंच गई हैं। यही वजह है कि कुछ ट्रेडर लंदन में बढ़ती कीमतों से लाभ उठाने के लिए ट्रांसअटलांटिक उड़ानों में चांदी की छड़ों के लिए कार्गो स्लॉट बुक कर रहे हैं। बता दें कि ट्रांसअटलांटिक उड़ानों में कार्गो स्लॉट परिवहन का एक महंगा साधन होते हैं जो आमतौर पर सोने के लिए आरक्षित होते हैं। मंगलवार को शुरुआती कारोबार में चांदी का प्रीमियम लगभग 1.55 डॉलर प्रति औंस था जो पिछले हफ्ते 3 डॉलर के स्प्रेड से कम है।
चांदी को क्यों लगे तेजी के पंख?
चांदी में तेजी की वजह पर नजर डालें तो पश्चिम के देशों में कर्ज का स्तर बढ़ रहा है। करेंसियों में दबाव है। इनके भाव गिर रहे हैं। अमेरिका में शटडाउन से भी चांदी को सपोर्ट मिल रहा है। अमेरिका में बजट को लेकर अनिश्चितता कायम है। भारत में हाल के हफ्तों में चांदी मांग में जोरदार उछाल देखने को मिली है। ट्रेंड के लिए भी बार की सप्लाई में गिरावट आई है। लंदन में इन्वेंटरी मिड 2021 के बाद 25 फीसदी गिरी है।
सोमवार को बैंक ऑफ अमेरिका कॉर्प के विश्लेषकों ने लगातार हो रहे बाजार घाटे, बढ़े हुए राजकोषीय घाटे और कम ब्याज दरों का हवाला देते हुए चांदी के लिए 2026 के अंत के टारगेट प्राइस को लगभग 44 डॉलर प्रति औंस से बढ़ाकर 65 डॉलर कर दिया है। निवेशक इस महीने के अंत में आने वाले केंद्रीय बैंक के अगले ब्याज दर संबंधी फैसले से पहले फेड की मौद्रिक नीति में ढील के रुख पर भी रखें हुए हैं। फिलाडेल्फिया के फेड बैंक की प्रेसीडेंट अन्ना पॉलसन ने सोमवार को संकेत दिया कि वह इस साल दो और कटौती के पक्ष में हैं। मौद्रिक नीति में महंगाई पर टैरिफ के प्रभाव पर विचार किया जाना चाहिए। दरों में कटौती से उधारी लागत कम होगी इससे उन कीमती धातुओं को फायदा होगा जिन पर ब्याज नहीं लगता।
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