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Sugar Export: चीनी एक्सपोर्ट को मंजूरी दे सकती सरकार, इस कारण सरकार लें सकती है फैसला

Sugar Export: सरकार चीनी एक्सपोर्ट को मंजूरी दे सकती है। एथेनॉल डायवर्जन कम होने से मंजूरी संभव है। हालांकि सीमित मात्रा में एक्सपोर्ट को मंजूरी संभव है। पहले चरण में 15–20 लाख टन चीनी एक्सपोर्ट की मंजूरी संभव है

Edited By: Sujata Yadavअपडेटेड Oct 29, 2025 पर 6:02 PM
Sugar Export: चीनी एक्सपोर्ट को मंजूरी दे सकती सरकार, इस कारण सरकार लें सकती है फैसला
सरकार चीनी एक्सपोर्ट को मंजूरी दे सकती है। एथेनॉल डायवर्जन कम होने से मंजूरी संभव है। हालांकि सीमित मात्रा में एक्सपोर्ट को मंजूरी संभव है।

Sugar Export:  सरकार चीनी एक्सपोर्ट को मंजूरी दे सकती है। एथेनॉल डायवर्जन कम होने से मंजूरी संभव है। हालांकि सीमित मात्रा में एक्सपोर्ट को मंजूरी संभव है। पहले चरण में 15–20 लाख टन चीनी एक्सपोर्ट की मंजूरी संभव है। फूड सेक्रेटरी संजीव चोपड़ा ने बताया कि 2024-25 में केवल 34 लाख टन चीनी एथेनॉल में बदली गई, जबकि लक्ष्य 45 लाख टन का था।

फूड सेक्रेटरी संजीव चोपड़ा के मुताबिक, नए मार्केटिंग ईयर (अक्टूबर से सितंबर) की शुरुआत उच्च ओपनिंग स्टॉक के साथ हुई है। उन्होंने कहा-इस साल एथेनॉल डाइवर्जन कम होने से चीनी का सरप्लस बढ़ गया है। सरकार अब एक्सपोर्ट की अनुमति देने पर विचार कर रही । भारत में हर साल करीब 325–330 लाख टन चीनी का उत्पादन होता है, जबकि घरेलू खपत 275–280 लाख टन के आसपास रहती है। यानी हर साल 40–50 लाख टन का सरप्लस बनता है।

उन्होंने आगे कहा कि हमारे पास निश्चित रूप से चीनी का भंडार ज्यादा है। जल्द ही कोई निर्णय लिया जा सकता है, क्योंकि सरकार उद्योग को निर्यात की योजना बनाने के लिए एक लंबा समय देना चाहेगी। इस मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए मंत्रियों की एक समिति अगले सप्ताह बैठक कर सकती है। विपणन वर्ष 2024-25 के दौरान देश से 10 लाख टन के आवंटन के मुकाबले लगभग 8 लाख टन चीनी का निर्यात किया गया था।

संजीव चोपड़ा ने बताया कि फिलहाल अंतरराष्ट्रीय बाजार में परिष्कृत (रिफाइंड) चीनी के दाम बहुत अनुकूल नहीं हैं। हालांकि, कच्ची चीनी के लिए निर्यात का अवसर संभव है, क्योंकि उसमें कुछ हद तक निर्यात लाभ मिल सकता है। उन्होंने बताया कि वैश्विक बाजार में रिफाइंड चीनी की कीमत करीब 3,829 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि घरेलू मिलों का एक्स-मिल भाव औसतन 3,885 रुपये प्रति क्विंटल है। ऐसे में निर्यात का लाभ सीमित है।

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