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पंजाब के बाद अब यूपी सरकार ने भी 11 कीटनाशकों की खरीद-बिक्री पर लगाई रोक, चेक कीजिए पूरी लिस्ट

मिडिल ईस्ट, यूरोप और अमेरिका जैसे देशों ने बासमती चावल के निर्यात के मामले में कीटनाशकों के लिए कड़े नियम तय किए गए हैं जिसके लिए ये कदम उठाया गया है

अपडेटेड Sep 01, 2025 पर 2:27 PM
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यूपी के 30 जिलों में बासमती धान की खेती में नहीं इस्तेमाल होंगे 11 कीटनाशक

यूपी ने बासमती की खेती में इस्तेमाल होने वाले 11 कीटनाशकों के खरीद-बिक्री पर रोक लगा दी है। इससे पहले पंजाब ने भी इन पेस्टिसाइड की बिक्री पर पाबंदी लगाने का फैसला किया था। इस रोक की वजह ये है कि इन कीटनाशकों के इस्तेमाल के बाद फसलों पर इसका कुछ ना कुछ असर बना रहता है। और अब यूपी सरकार चाहती है कि राज्य से बासमती चावल इंटरनेशनल मार्केट खासतौर पर यूरोप भेजा जाए। यही वजह है कि योगी सरकार ने इन 11 तरह के पेस्टीसाइड के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी है। यूरोपीय देशों में क्वालिटी के पैमाने काफी सख्त होते हैं और यही वजह है कि यूपी सरकार ने वहां मार्केट बढ़ाने के लिए कीटनाशकों पर रोक लगा दी है।

यूपी सरकार ने कब जारी की थी अधिसूचना

यूपी सरकार के स्पेशल सेक्रेटरी ओम प्रकाश वर्मा ने इस बारे में 17 अगस्त को एक नोटिफिकेशन जारी किया था। कृषि विभाग ने राज्य के 30 जिलों की पहचान की है जहां बासमती की खेती होती है। सरकार की कोशिश है कि इन 30 जिलों में 11 कीटनाशकों की खरीद-बिक्री और इस्तेमाल पर पूरी तरह रोक लगा दी जाए। यह रोक 1 अगस्त से अगले 60 दिनों तक इस पर पाबंदी लगाई गई है।


यूपी में किन 11 कीटनाशकों के खरीद-बिक्री पर लगी रोक

यूपी सरकार ने बासमती चावलों को कीटनाशकों के गलत प्रभाव से बचाने के लिए जिन 11 पेस्टीसाइड पर रोक लगई है उनमें ट्राइसाइक्लाजोल, बुप्रोफेज़िन, एसिफेट, क्लोरपायरिफॉस, टेबुकोनाज़ोल, प्रोपीकोनाज़ोल, थायमिथोक्साम, प्रोफेनोफोस, इमिडाक्लोप्रिड, कार्बेन्डाज़िम और कार्बोफ्यूरान शामिल हैं।

इससे पहले पंजाब सरकार ने भी इन पेस्टीसाइड पर रोक लगा दी थी। वैसे पंजाब की लिस्ट में हेक्साकोनाजोल नाम का पेस्टीसाइड भी शामिल है।

वर्मा ने बताया कि एपीडा (APEDA) ने बासमती धान को बचाने और उत्तर प्रदेश से इंटरनेशनल मार्केट में बिना किसी दिक्क के बासमती चावल का एक्सपोर्ट करने के लिए ये कदम उठाया गया है। मिडिल ईस्ट, यूरोप और अमेरिका जैसे देशों ने बासमती चावल के निर्यात के मामले में रसायनों के लिए कड़े लेवल (MRLs) तय किए हैं, जिन्हें पालन करना आवश्यक है।

 

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