उपभोक्ता मंत्रालय ने DGFT को चिट्ठी लिखी है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मंत्रालय ने चिट्ठी में गेहूं के प्रोडक्ट्स के एक्सपोर्ट को मंजूरी देने की मांग की है। आटा, सूजी, मैदा जैसे प्रोडक्ट एक्सपोर्ट होंगे। शुरुआत में 10 लाख टन के निर्यात की अनुमति दी जा सकती है। हालांकि DGFT जल्द नोटिफिकेशन जारी कर सकता है।
देश में गेहूं के पर्याप्त भंडार और उत्पादन की मजबूत संभावनाओं को देखते हुए रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन आफ इंडिया ने सरकार से निर्यात पर लगा प्रतिबंध हटाने का अनुरोध किया था। मिलर्स एसोसिएशन का कहना है कि देश में इस समय गेहूं का सरप्लस स्टाक है।
2024-25 में देश में गेहूं का रिकार्ड 117.54 मिलियन टन उत्पादन हुआ था और सरकार ने 2025-26 के लिए 119 मिलियन टन उत्पादन का लक्ष्य रखा है। इस साल गेहूं की बुवाई भी पिछले साल के मुकाबले दोगुनी से ज्यादा हो चुकी है।
सरकार ने 2024-25 की फसल से 30 मिलियन टन गेहूं की खरीद की है, जो पिछले चार सालों में सबसे ज्यादा है। 2022 में गेहूं और गेहूं उत्पादों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद से सरकार कीमतों को नियंत्रित रखने में सफल रही है।
देश में गेहूं की बुआई के आंकड़ों पर नजर डालें तो 14 नवंबर 2024-25 तक देश में 56.55 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुआई हुई जबकि 14 नवंबर 2025-26 में 66.23 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई।
मंजूरी नहीं मिली तो गेहूं का हाल भी चावल जैसा ही होगा
RFMFI के नवनीत चितलांगिया ने कहा कि 10 लाख टन एक्सपोर्ट के मंजूरी की मांग की है। इंडस्ट्रीज काफी समय से प्रोडक्ट के एक्सपोर्ट की मांग कर रहा है। इस साल गेहूं के बंपर पैदावार की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कुछ साल पहले आटे के एक्सपोर्ट को बैन किया था।
नवनीत चितलांगिया के मुताबिक मंजूरी मिलने के 6 महीने में बाजार पर भारत अपनी पहुंच बना लेगा। क्योंकि भारतीय आटे की मांग विदेशों में अच्छी है। देश में आटे, गेहूं के दाम नहीं बढ़े है। गेहूं की MSP बढ़ी है लेकिन दाम नहीं बढ़े। देश में दाम ज्यादा न गिरे इससे लिए एक्सपोर्ट को मंजूरी जरुरी है। मंजूरी नहीं मिली तो गेहूं का हाल भी चावल जैसा ही होगा।उन्होने आगे कहा कि सरकार को गेहूं की पॉलिसी में और सफाई लानी चाहिए।