खाने-पीने की चीजों के बाव तेजी से बढ़ रहे हैं और अगले साल लोकसभा चुनाव भी हैं। इसके अलावा कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव अब सर पर हैं। ऐसे में सप्लाई बढ़ाने के लिए सरकार रुस से गेहूं खरीदने के लिए बातचीत कर रही है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को यह जानकारी चार सूत्रों से मिली है। रुस से गेहूं आने पर सरकार मार्केट में प्रभावी तरीके से दखल दे सकेगी और गेहूं की भी कीमतें नीचे आ सकेंगी। पिछले महीने जुलाई में महंगाई बढ़ने की दर यानी इनफ्लेशन 15 महीने के रिकॉर्ड ऊंचे स्तर पर पहुंच गई थी।
इस मायने में अहम है सरकार का यह कदम
सरकार रुस से गेहूं खरीदने पर विचार कर रही है। यह खरीदारी प्राइवेट ट्रेड और सरकार से सरकार के बीच के सौदों के जरिए होगी। हालांकि इस मामले में अभी अंतिम रूप से कुछ तय नहीं हुआ है। हालांकि पिछले महीने केंद्रीय फूड मिनिस्ट्री में एक वरिष्ठ अधिकारी संजीव चोपड़ा ने कहा था कि रुस से गेहूं आयात करने का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है। अब गेहूं आयात करने की जो योजना बन रही है, वह इस मायने में अहम है कि भारत ने कई वर्षों से डिप्लोमेटिक डील के जरिए बाहर से गेहूं नहीं मंगाया है। इससे पहले 2017 में बड़ी मात्रा में गेहूं का आयात हुआ था लेकिन यह प्राइवेट ट्रेडर्स के जरिए हुआ था जब 53 लाख टन गेहूं आया था।
कितने गेहूं का हो सकता है आयात
गेहूं की कमी को पाटने के लिए भारत को सिर्फ 30 से 40 लाख टन गेहूं की जरूरत पड़ेगी। हालांकि सूत्र के मुताबिक कीमतों पर भारी असर डालने के लिए 80 से 90 लाख टन गेहूं रुस से मंगाया जा सकता है। यूक्रेन से युद्ध शुरू होने के बाद से रुस सस्ती दरों पर गुड्स एक्सपोर्ट कर रहा है और भारत के लिए यह दूसरा सबसे बड़ा सेलर बन गया है। एक अधिकारी के मुताबिक रुस से बाजार भाव से कम कीमत पर चीजें खरीदी जा सकती हैं और खाने-पीने के चीजों की खरीदारी पर कोई प्रतिबंध भी नहीं है।
रुस से गेहूं मंगाने पर क्या होगा फायदा
मुंबई के एक कारोबारी के मुताबिक रुस से गेहूं खरीदने पर भारत को प्रति टन 25-40 डॉलर की छूट मिल सकती है। इस प्रकार गेहूं की कीमतें यहां नीचे लाई जा सकती है। बता दें कि कम सप्लाई के चलते थोक गेहूं की कीमतें दो महीने में लगभग 10% बढ़कर अगस्त में सात महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। वहीं 1 अगस्त को सरकारी गोदामों में गेहूं का स्टॉक 2.83 करोड़ टन था, जो 10 साल के औसत से 20% कम है। पिछले साल कम उत्पादन के कारण गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और इस साल की फसल भी सरकार के अनुमान से कम से कम 10% कम होने की उम्मीद है।