दिसंबर 2024 तिमाही में लिस्टेड कंपनियों की परफॉर्मेंस निराशाजनक रही। इस दौरान न सिर्फ प्रॉफिट मार्जिन में गिरावट रही, बल्कि निफ्टी 50 और बीएसई 500 कंपनियों के अन्य मानकों पर भी असर पड़ा। डीफ्लेशन और सालाना आधार पर बेस अनुकूल होने के बावजूद संबंधित अवधि में कंपनियों की रेवेन्यू ग्रोथ सुस्त रही। नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की रिपोर्ट में कहा गया है कि बीएसई 500 कंपनियों के लिए सालाना आधार पर रेवेन्यू ग्रोथ लगातार सातवीं तिमाही में 10 पर्सेंट से कम रही।
बहरहाल, इस बार चिंता यह है कि बाकी तिमाहियों के उलट इस बार रेवेन्यू में कमजोरी का असर मुनाफे पर दिख रहा है। ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि पिछली दो या तीन तिमाहियों से इनपुट कॉस्ट में जो कमी देखने को मिल रही थी, वह मामला अब कमजोर पड़ता नजर आ रहा है। कोविड के बाद दौर में हालात बदले हैं और बदली हुई परिस्थितियों में मौजूदा प्रॉफिट लेवल से सीमित सुधार की गुंजाइश है। दूसरे शब्दों में कहे, तो प्रॉफिट मार्जिन अपनी पीक पर पहुंच चुका है और मुमकिन है इसमें अब गिरावट देखेने को मिले।
लिहाजा, बीएसई 500 (BSE 500) कंपनियों के नतीजों में सुस्ती का असर दिख रहा है। सेगमेंट आधार पर एनालिसिस से पता चलता है कि पैसेंजर व्हीकल, ज्वैलरी और कंज्यूमर सर्विसेज जैसे सेक्टरों में प्रॉफिट में तेज गिरावट देखने को मिली है, जबकि पेंट्स और केमिकल्स में गिरावट कम तेज है। हालांकि, आईटी और एफएमसीजी सेक्टर में प्रॉफिट ग्रोथ स्थिर है।
नुवामा की रिपोर्ट में कहा गया है, ' वित्त वर्ष 2024 में ऑटो, कंज्यूमर सर्विसेज, एयरलाइंस, इंडस्ट्रियल्स, सीमेंट और बैंकिंग सेक्टरों में ग्रोथ काफी तेज रही थी, जबकि 2025 में इसमें सुस्ती देखने को मिल रही है।' एक और ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने इसी तर्ज पर टिप्पणी की थी कि दिसंबर 2024 तिमाही में कंपनियों की परफॉर्मेंस वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही के बाद सबसे कमजोर है।