देश की दिग्गज ऑटो मेकर टाटा मोटर्स ने 31 दिसंबर 2021 को खत्म हुई तीसरी तिमाही में नतीजे जारी करते हुए सूचित किया है कि इस अवधि में कंपनी को 1,516 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। पिछले साल की तीसरी तिमाही में कंपनी को 2,906.5 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ था।
देश की दिग्गज ऑटो मेकर टाटा मोटर्स ने 31 दिसंबर 2021 को खत्म हुई तीसरी तिमाही में नतीजे जारी करते हुए सूचित किया है कि इस अवधि में कंपनी को 1,516 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। पिछले साल की तीसरी तिमाही में कंपनी को 2,906.5 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ था।
Jaguar Land Rover बनानेवाली टाटा मोटर्स के कंसोलिडेटड आय में दिसंबर तिमाही में सालाना आधार पर 4.5 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है औऱ यह 72,229 करोड़ रुपये पर रहा है।
बाजार जानकारों का मानना था कि इस अवधि में कंपनी का नेट लोस 2,200 करोड़ रुपये के आसपास रहेगा। बता दें कि दूसरी तिमाही में कंपनी को 4,441.6 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। कंपनी को लगातार चौथी तिमाही में घाटा उठाना पडा है। कंपनी को सेमी कंडक्टर की शॉर्टेज से भारी नुकसान हुआ है।
गौरतलब है कि पूरी दुनिया की ऑटो इंडस्ट्रीज को हाल के दिनो में सेमी कंडक्टर की सप्लाई की कमी का सामना करना पड़ा है जिससे ऑटो इंडस्ट्रीज को भारी चोट पहुंची है।
समग्र रूप से देखें तो तीसरी तिमाही में टाटा मोटर्स का कंसोलिडेटड ऑपरेटिंग प्रॉफिट 7,400 करोड़ रुपये पर रहा है। इस अवधि में कंपनी के मार्जिन पर 460 बेसिस प्वाइंट का दबाव देखने को मिला है और यह 10.2 फीसदी पर रहा है।
टाटा मोटर्स ने एक्सचेंज को दी गई जानकारी में कहा है कि 2022 में भी चिप के समस्या के बने रहने की उम्मीद है लेकिन आगे इसमें सप्लाई बढ़ने के साथ धीरे-धीरे सुधार जरुर दिखेगा। तीसरी तिमाही में जेएलआर का एबिट मार्जिन 530 बेसिस फिसलकर 1.4 फीसदी पर रहा है।
तीसरी तिमाही में कंपनी का एबिटडा मार्जिन सालाना आधार पर 16 फीसदी से घटकर 9.8 फीसदी पर रहा है। वहीं कंसोलिडेटड एबिटडा पिछले साल के इसी अवधि के 12,132.7 करोड़ रुपये से घटकर `7,078 करोड़ रुपये पर रही है।
JLR के प्रदर्शन पर नजर डालें तो तीसरी तिमाही में कंपनी की सबसे बड़ी सब्सिडयरी Jaguar Land Rover को कर पूर्व 90 लाख पाउंड का घाटा हुआ है। कंपनी के कारोबार पर चीप शॉर्टेज का भारी असर देखने को मिला है। हालांकि तिमाही आधार पर देखें तो कंपनी के आय में 22 फीसदी की बढ़त देखने को मिली है और यह 4.7 अरब पाउंड पर रही है। इसका मतलब यह है कि चीप शॉर्टेज से जुड़ी मुश्किल धीरे-धीरे कम हो रही है।
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