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Explainer: रूस में अजीब मुसीबत में फंसी बर्गर किंग, जानिए पूरा मामला

बर्गर किंग अमेरिकी कंपनी है। यह फास्ट फूड बेचती है। लेकिन, यह चाहकर भी रूस में अपने स्टोर नहीं बंद कर पा रही है। इसके चलते सोशल मीडिया पर इसे ट्रोल किया जा रहा है

अपडेटेड Mar 26, 2022 पर 10:42 AM
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बर्गर किंग का रूस में अपना कोई रेस्टॉरेंट नहीं है। इसके रूस में 800 स्टोर है। ये सभी फ्रेंचाइजी मॉडल पर चलाए जाते हैं। इसके लिए बर्गर किंग ने रूसी बिजनेसमैन एलेक्जेंडर कोलोबोव और अन्य दो पार्टनर्स से एग्रीमेंट किया था।

बर्गर किंग (Burger King) रूस में अजीब तरह की मुसीबत में फंस गई है। यूक्रेन पर रूस के हमले (Russian Attacks on Ukraine) के बाद से दर्जनों अमेरिकी और यूरोपीय कंपनियों ने रूस में अपने स्टोर बंद कर दिए हैं। हमले के चलते रूस पर अमेरिका और यूरोप के प्रतिबंध लगा देने के बाद इन कंपनियों ने यह कदम उठाया है।

अमेरिकी फास्ट फूड कंपनी है बर्गर किंग

बर्गर किंग अमेरिकी कंपनी है। यह फास्ट फूड बेचती है। लेकिन, यह चाहकर भी रूस में अपने स्टोर नहीं बंद कर पा रही है। इसके चलते सोशल मीडिया पर इसे ट्रोल किया जा रहा है। आइए जानते हैं क्या है मामला।


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कई बड़ी कंपनियों ने रूस में अपने स्टोर बंद किए

पिछले कुछ हफ्तों में मैकडोनाल्ड्स ने रूस में अपने 800 से ज्यादा स्टोर बंद कर दिए हैं। स्टारबक्स ने 139 जगहों पर अपना कामकाज रोक दिया है। नेस्ले सिर्फ दूध जैसे जरूरी प्रोडक्ट्स बेच रही है। लेकिन, बर्गर किंग के स्टोर अब भी रूस में ऑपरेट कर रहे हैं। इसके चलते लोग सोशल मीडिया पर इस कंपनी का विरोध कर रहे हैं। इसके लिए #BoycottBurgerKing का इस्तेमाल किया जा रहा है। सवाल है कि बर्गर किंग क्यों रूस में अपने स्टोर बंद नहीं कर रही है?

बर्गर किंग की क्या है मुश्किल?

यह मामला जितना दिखता है, उससे ज्यादा जटिल है। दरअसल, बर्गर किंग का रूस में अपना कोई रेस्टॉरेंट नहीं है। इसके रूस में 800 स्टोर है। ये सभी फ्रेंचाइजी मॉडल पर चलाए जाते हैं। इसके लिए बर्गर किंग ने रूसी बिजनेसमैन एलेक्जेंडर कोलोबोव और अन्य दो पार्टनर्स से एग्रीमेंट किया था। बर्गर किंग का पूरा बिजनेस रूस में यही लोग संभालते हैं।

फ्रेंचाइजी मॉडल के अपने नियम और शर्तें हैं

फ्रेंचाइजी मॉडल के कुछ अपने नियम और कानून है। इसमें कंपनी किसी दूसरी कंपनी को अपने प्रोडक्ट्स या सेवाएं बेचने का राइट्स देती है। इसके बदले पार्टनर कंपनी को रॉयल्टी या प्रॉफिट में हिस्सा देते हैं। पश्चिमी देशों की ज्यादातर कंपनियां अपने बिजनेस के विस्तार के लिए इस मॉडल का इस्तेमाल करती हैं। इसका फायदा यह है कि उन्हें दूसरे देशों में बिजनेस शुरू करने के लिए खुद कुछ भी नहीं करना पड़ता है।

आखिर क्या है रास्ता?

बर्गर किंग के फ्रेंचाइजी मॉडल के साथ मुश्किल यह है कि वह अचानक एग्रीमेंट को तोड़ नहीं सकती है। अगर वह ऐसा करती है तो वह काननी पचड़े में फंस जाएगी। उसके सामने एकमात्र विकल्प कोलोबोव के साथ मिलकर इस मसले का हल निकालना होगा। लेकिन दिक्कत यह है कि कोलोबोव इस मामले में उसकी मदद नहीं कर रहे हैं।

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