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सुपरटेक दिवालिया होने के बाद क्या करें ग्राहक, एक्सपर्ट्स की सलाह मानिए, नुकसान से बचेंगे

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने लोन का पैसा वापस नहीं मिलने पर NCLT की दिल्ली बेंच में याचिका दाखिल की थी। इसके बाद 25 मार्च को सुपरटेक को दिवालिया घोषित कर दिया गया। एनसीएलटी ने इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत हितेश गोयल को इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल नियुक्त किया है

अपडेटेड Mar 26, 2022 पर 12:07 PM
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सुपरटेक में फ्लैट बुक किया है तो जानिए अब आपको क्या करना चाहिए ताकि नुकसान कम से कम हो

सुपरटेक लिमिटेड (Supertech Ltd.) से घर खरीदने वाले लोगों को लंब इंतजार करना पड़ सकता है। लीगल एक्सपर्ट्स का कहना है कि सुपरटेक मामले के निपटारे में तय वक्त से ज्यादा समय लग सकता है। ऐसे में ग्राहकों को जितना जल्द हो सके अपना दावा पेश कर देना चाहिए। बैंकों का पैसा चुकाने में नाकाम सुपरटेक को 25 मार्च को दिवालिया घोषित कर दिया गया।

ग्राहकों को क्या करना चाहिए?

इंडसलॉ के पार्टनर सौरव कुमार ने मनीकंट्रोल को बताया, "होम बायर्स को तुरंत अपना दावा रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल्स को सौंप देना चाहिए। उन्हें इनसॉल्वेंसी प्रोसेस में भी एक्टिवली पार्टिसिपेट करना चाहिए। इससे मामले के निपटारे में मदद मिलेगी।"


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ग्राहकों में बैठ सकता है डर

उन्होंने कहा, "सुपरटेक के हजारों ग्राहकों को घर नहीं मिला है और पहले आए ऐसे मामलों को देखते हुए इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि ग्राहकों में डर बैठ सकता है। अब तक रियल एस्टेट सेक्टर में बहुत कम एप्रूव्ड रिजॉल्यूशन प्लांस देखने को मिले हैं।"

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने दाखिल की थी याचिका

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने लोन का पैसा वापस नहीं मिलने पर एनसीएलटी की दिल्ली बेंच में याचिका दाखिल की थी। इसके बाद 25 मार्च को सुपरटेक को दिवालिया घोषित कर दिया गया। एनसीएलटी ने इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत हितेश गोयल को इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल नियुक्त किया है।

एनसीएलटी ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था

सुपरटेक की तरफ से प्रस्तावित वन-टाइम सेटलमेंट को यूनियन बैंक की तरफ से खारिज कर दिए जाने के बाद एनसीएलटी ने 17 मार्च, 2022 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले 31 अगस्त, 2021 को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सुपरटेक का नाम सुर्खियों में आया था।

सुप्रीम कोर्ट दे चुका है ट्विन टावर गिराने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने कंस्ट्रक्शन के नियमों का उल्लंघन करने पर नोएडा स्थित सुपरटेक के 40-मंजिला ट्विन टावर को गिराने का आदेश दिया था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि सुपरटेक ने नोएड के अफसरों की मिलीभगत से नियमों का उल्लंघन कर यह टावर बनाया था।

कुमार ने कहा, "मामला शुरू होने के बाद एनसीएलटी में प्रोसेस में देर होने का अनुमान है। आम तौर पर रियल एस्टेट से जुड़े मामलों का निपटारा मुश्किल होता है। इसने RERA, कंज्यूमर कोर्ट्स, आईबीसी और जमीन से जुड़े मसले संबधित होते हैं। आम तौर पर कर्ज देने वाले बैंक या वित्तीय संस्थान ऐसे मामलों में बड़ा हेयरकट लेते हैं। "

कंपनी ने दी है यह सफाई

इस बीच, सुपरटेक ने कहा है कि वह नेशनल कंपनी एपेलेट लॉ ट्राइब्यूनल (NCALT) का दरवाजा खटखटाएगी। उसने कहा है, "घर खरीदने वाले ग्राहकों के हित में बैंकों का पैसा चुकाने की जगह प्रोजेक्ट के कंस्ट्रक्शन और डिलीवरी को प्राथमिकता दी गई। प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद बैंकों का पैसा लौटाया जा सकता है। चूंकि कंपनी के सभी प्रोजेक्ट्स फाइनेंशियली वायएबल हैं, जिससे किसी पार्टी या बैंक को नुकसान नहीं होता। कोर्ट के आदेश से सुपरटेक ग्रुप की दूसरी कंपनी के कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ेगा।"

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