हिंडाल्को अपने विस्तार के लिए पूंजी की जरूरतों को अपने नकदी प्रवाह (cash flows) के मुताबित समायोजित करने की कोशिश करेगा। कंपनी का अपनी विस्तार योजनाओं के लिए उधार लेने का इरादा नहीं है। कंपनी अपनी चालू विस्तार योजनाओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन हम अपने नए प्रोजेक्ट्स की प्लानिंग कंपनी के फ्री-कैश फ्लो को ध्यान में रखते हुए करेंगे। इसका मतलब ये है कि कंपनी अपने नए प्रोजेक्ट्स के लिए कर्ज नहीं लेगी। वे इनका के लिए अपने आंतरिक श्रोतों से ही पैसा जुटाएगी। ये बातें हिंडाल्को इंडस्ट्रीज (Hindalco Industries) के एमडी सतीश पई ने मनीकंट्रोल के साथ हुई एक बातचीत में कही हैं। यहां हम आपके लिए इस बातचीत का संक्षिप्त अंश दे रहे हैं।
बता दें कि कंपनी ने हाल ही में Novelis (कंपनी की अमेरिकी स्थित सब्सिडियरी) के वित्त वर्ष 2022-23 के लिए निर्धारित कैपेक्स प्लान को 1.3-1.6 अरब डॉलर से घटा कर 90 करोड़ से 1 अरब डॉलर कर दिया है। इस बातचीत में सतीश पई ने कहा कि इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में कंपनी के डाउनस्ट्रीम कॉपर और एल्यूमीनियम कारोबार से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है। इसके साथ ही इस अवधि में कंपनी के अपस्ट्रीम एल्यूमीनियम कारोबार के लागत में कमी आने की उम्मीद है। कोयले का भाव कम होने से लागत कम होने का अनुमान है। इसके चलते Q3 और Q4 में मार्जिन में सुधार होने का भी अनुमान है।
उन्होंने आगे कहा कि घरेलू मार्केट में पहले से घोषित कैपेक्स के साथ आगे बढ़ेगें। कैश पोजिशन भारत में काफी मजबूत है। कंपनी का कर्ज लेने का कोई प्लान नहीं है। बैलेंश शीट को मजबूत करने पर पूरा फोकस है। कंपनी के कॉपर कारोबार के लिए वित्त वर्ष की दो तिमाहियां काफी अच्छी रही हैं। अगली दो तिमाहियां भी अच्छी रहने की उम्मीद है। कंपनी का इंडियन डाउनस्ट्रीम एल्यूमीनियम बिजनेस कारोबार काफी मजबूत रहा है। आगे तीसरी और चौथी तिमाहियों में भी हमें इन कारोबारों में मजबूती कायम रहने की संभावना है। हालांकि कंपनी के अपस्ट्रीम एल्यूमीनियम कारोबार में बढ़ती लागत का दबाव देखने को मिल रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि उम्मीद है कि दूसरी तिमाही के बाद अब कोयले की उपलब्धता बढ़ने के साथ ही इसकी कीमतें भी कम होती नजर आएंगी जिससे तीसरी-चौथी तिमाही से कोयले के दाम में गिरावट आनी शुरू हो जाएगी। ऐसे में एल्यूमीनियम के अपस्ट्रीम कारोबार को मार्जिन में इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही यानी कैलेंडर ईयर 2023 से सुधार आना शुरू हो जाएगा। आगे कंपनी के उत्पादन लागत में 2-5 फीसदी की गिरावट देखने को मिल सकती है।