इंडसइंड बैंक (Indusind Bank) ने अपनी आंतरिक जांच के बाद बड़ी लेखा गड़बड़ी (accounting lapse) की पुष्टि की है। बैंक ने रविवार को बताया कि वह इस मामले में जिम्मेदार लोगों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई करने और वरिष्ठ प्रबंधन की भूमिकाओं को फिर से तय करने की प्रक्रिया में जुटा है। यह कदम एक स्वतंत्र ऑडिट फर्म द्वारा 26 अप्रैल को सौंपी गई रिपोर्ट के बाद उठाया गया है।
बैंक की रेगुलेटरी फाइलिंग के अनुसार, स्वतंत्र फर्म ने पाया है कि 31 मार्च 2025 तक बैंक के मुनाफे और नुकसान (P&L) पर ₹1959.98 करोड़ का नकारात्मक असर पड़ा है। यह वही आंकड़ा है, जिसकी जानकारी बैंक ने 15 अप्रैल 2025 को भी दी थी।
बैंक ने कहा कि इस प्रभाव को वित्त वर्ष 2024-25 के खातों में उचित तरीके से दिखाया जाएगा। साथ ही, आंतरिक नियंत्रण व्यवस्था को मजबूत करने के लिए जरूरी सुधार भी किए जाएंगे।
डेरिवेटिव सौदों में क्या गड़बड़ी हुई?
स्वतंत्र जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि इंडसइंड बैंक ने आंतरिक डेरिवेटिव ट्रेड्स के लेखांकन में गंभीर गलतियां कीं। खासतौर पर, जब ये सौदे समय से पहले समाप्त हुए, तो बैंक ने असल मुनाफा हुए बिना ही काल्पनिक लाभ (notional profits) दर्ज कर लिए।
यही तरीका लेखा त्रुटि का मुख्य कारण बना। बैंक ने इस समस्या को पहचानते हुए 1 अप्रैल 2025 से आंतरिक डेरिवेटिव ट्रेडिंग को पूरी तरह बंद कर दिया है।
नेटवर्थ पर कितना असर पड़ेगा?
इस गड़बड़ी का सीधा असर बैंक की संपत्ति (Net Worth) पर पड़ा है। इंडसइंड बैंक ने पहले ही चेतावनी दी थी कि दिसंबर 2024 तक बैंक की कुल संपत्ति पर टैक्स के बाद (post-tax basis) करीब 2.27% का नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
शुरुआती अनुमान में इस प्रभाव को लगभग 2.35% बताया गया था। कुल मिलाकर, बैंक ने अपने नेटवर्थ पर ₹1,979 करोड़ तक के नुकसान का आकलन किया है।
आगे क्या कदम उठाएगा बैंक?
इंडसइंड बैंक ने स्पष्ट किया है कि वह लेखा त्रुटियों का प्रभाव अपने वित्तीय नतीजों में पूरी पारदर्शिता के साथ दिखाएगा। आंतरिक नियंत्रणों को और सख्त बनाएगा। साथ ही, जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय करेगा और जरूरी होने पर प्रबंधन में बदलाव करेगा। Indusind Bank के शेयर शुक्रवार (25 अप्रैल) को 0.03% की मामूली बढ़त के साथ 820.00 रुपये पर बंद हुए थे।