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L&T को एनर्जी ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन से जुड़े अवसरों में काफी बढ़ोतरी की उम्मीद: दास

लार्सन एंड टुब्रो (L&T) को ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन से जुड़े अवसरों में काफी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। कंपनी के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (यूटिलिटीज) और होलटाइम डायरेक्टर टी माधव दास ने बताया कि ग्लोबल स्तर पर एनर्जी के वैकल्पिक स्रोतों का प्रचलन बढ़ने के साथ कंपनी के पास अवसर भी बढ़ रहे हैं। दास का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस सेगमेंट में काफी संभावनाएं हैं, जबकि भारत में जमीन अधिग्रहण की दिक्कत, संसाधन की कमी आदि वजहों से प्रोजेक्ट को लागू करने संबंधी चुनौतियां हैं

अपडेटेड Sep 27, 2024 पर 6:47 PM
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दास के मुताबिक कंपनी के पास 18 गीगावॉट का ऑर्डर पाइपलाइन में है।

लार्सन एंड टुब्रो (L&T) को ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन से जुड़े अवसरों में काफी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। कंपनी के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (यूटिलिटीज) और होलटाइम डायरेक्टर टी माधव दास ने बताया कि ग्लोबल स्तर पर एनर्जी के वैकल्पिक स्रोतों का प्रचलन बढ़ने के साथ कंपनी के पास अवसर भी बढ़ रहे हैं।

दास का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस सेगमेंट में काफी संभावनाएं हैं, जबकि भारत में जमीन अधिग्रहण की दिक्कत, संसाधन की कमी आदि वजहों से प्रोजेक्ट को लागू करने संबंधी चुनौतियां हैं। उनके मुताबिक, इस वजह से यहां रफ्तार थोड़ी सुस्त है। इन चिंताओं के बावजूद L&T को भरोसा है कि सरकार के रणनीतिक हस्तक्षेप और रिन्यूएबल एनर्जी पर बढ़ते फोकस से भारत क्लीन एनर्जी बूम का फायदा उठाने में सफल होगा।

मनीकंट्रोल को दिए इंटरव्यू में दास ने कहा कि कंपनी के पास 18 गीगावॉट का ऑर्डर पाइपलाइन में है, जिसमें से 1.5 गीगावॉट का ऑर्डर भारत में है। ऐसे में कंपनी का ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन ऑर्डर बुक मजबूत नजर आ रहा है। उनका कहना था कि भारत में कंपनी का प्रोजेक्ट हासिल करने का रेट 15 से 20 पर्सेंट है, जबकि मध्य-पूर्व के देशों में यह काफी ज्यादा है।


दास ने ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन से जुड़ी बाधाओं से निपटने, रिन्यूएबल इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन (EPC) डिवीजन के लिए अलग वर्टिकल बनाने से जुड़ी वजहों आदि के बारे में भी बात की। भारत में ट्रांसमिशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन से जुड़े काम की स्पीड के बारे में पूछे जाने पर दास ने कहा कि 2015-16 तक रिन्यूएबल प्रोजेक्ट्स की रफ्तार ज्यादा तेज नहीं थी। देशभर में हर साल 5 से 6 गीगावॉट की क्षमता जोड़ी जा रही थी। उन्होंने कहा कि अब देश में मेगा सोलर पार्क देखने को मिल रहे हैं। राजस्थान और गुजरात में बड़े पैमाने पर ऐसे पार्क हैं।

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