तिरुमलाई सेलवन इंडिया की सबसे बड़ी आईटी कंपनी TCS में काम करते थे। TCS ने 2015 में एक साथ कई एंप्लॉयीज को नौकरी से निकाल दिया। इसमें सेलवन की भी नौकरी चली गई। उन्होंने नौकरी से निकालने के टीसीएस के फैसले को कोर्ट में चुनौती दी। सात साल तक चली लंबी लड़ाई के बाद लेबर कोर्ट ने सेलवन के पक्ष में फैसला सुनाया है। न्यूज वेबसाइट DT Next ने यह खबर दी है।
48 साल के सेलवन ने नौकरी से हटाए जाने से पहले TCS में 8 साल से ज्यादा काम किया था। उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। 2001 में वह आईटी फील्ड में आ गए। उन्होंने एक लाख रुपये की फीस चुकाकर एक कोर्स किया। फिर, 2006 में उनकी नौकरी टीसीएस में लग गई। उन्होंने बतौर एसिस्टेंड सिस्टम इंजीनियर टीसीएस में नौकरी शुरू की थी। 8 साल से ज्यादा काम करने के बाद नौकरी से हटाए जाने के फैसले से उन्हें धक्का लगा।
सेलवन ने टीसीएस के इस फैसले को चैलेंज करने का फैसला किया। इस बीच उन्हें काफी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। उन्हें रियल एस्टेट ब्रोकर से लेकर फ्रीलांस कंसल्टेंट तक का काम करना पड़ा। वह एक महीने में 10,000 रुपये भी नहीं कमा पाते थे। उनके परिवार का गुजारा सेविंग्स के पैसे और पत्नी की सैलरी से होता था। उनकी पत्नी टीचर हैं।
टीसीएस ने कोर्ट में सेलवन को नौकरी से हटाने के अपने फैसले को सही बताया। कंपनी ने कहा कि सेलवन का परफॉर्मेंस उम्मीद के मुताबिक नहीं था। उसने यह भी कहा कि वह एक मैनेजर थे, न कि वर्कमैन। दोनों पक्षों की दलीले सुनने के बाद कोर्ट ने पाया कि सेल्वन का काम एक स्किल्ड टेक्निकल वर्कर का था। इस आधार पर कोर्ट ने TCS की दलीलें खारिज कर दी।
कोर्ट ने न सिर्फ टीसीएस को सेलवन की नौकरी बहाल करने का आदेश दिया बल्कि यह भी कहा कि बीते 7 साल की उनकी पूरी सैलरी का पेमेंट किया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि सेलवन की नौकरी कंटिन्यू मानी जाएगी। इसका मतलब है कि उन्हें उन सालों के दौरान भी टीसीएस का एंप्लॉयी माना जाएगा, जब वे टीसीएस के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे।
संघर्ष के दिनों को याद करते हुए सेलवन कहते हैं, "सात सालों में 150 बार से ज्यादा मुझे कोर्ट जाना पड़ा।" फोरम फॉर आईटी एंप्लॉयीज FITE ने इस कानूनी लड़ाई में उनकी बहुत मदद की। सेलवन की लड़ाई से उन लाखों लोगों को प्रेरणा मिलेगी, जिन्हें बगैर उचित कारण के कंपनियों ने नौकरी से निकाल दिया है।