प्रमुख पाकिस्तानी पत्रकार हामिद मीर (Hamid Mir) को एक दूसरे पत्रकार पर हमले के विरोध में देश की सेना (Pakistani Army) के खिलाफ बोलने के कुछ ही दिनों बाद ऑफ एयर कर दिया गया है। मीर ने Al Jazeera को बताया कि उनसे कहा गया है कि वह सोमवार शाम से Geo न्यूज पर "कैपिटल टॉक" शो की मेजबानी नहीं करेंगे।
मीर ने कहा, "मुझे केवल Geo प्रबंधन द्वारा बताया गया है कि मैं शो की मेजबानी नहीं करूंगा। उन्होंने कहा कि पिछले हिफ्ते विरोध प्रदर्शन में दिए उनके बयान के बाद से उन पर बहुत दबाव है। उन्होंने यह नहीं बताया कि ये दबाव किससे आ रहा है।”
इस फैसले का कारण बताते हुए, Geo न्यूज के प्रबंधन ने Al Jazeera से पुष्टि की कि मीर को ऑफ-एयर कर दिया गया है और वह शो की मेजबानी नहीं करेंगे। जानकार सूत्रों ने बताया कि Geo न्यूज़ पर "हामिद मीर को नौकरी से निकालने तक का दबाव है।"
दरअसल पिछले हफ्ते, स्वतंत्र पाकिस्तानी पत्रकार असद अली तूर, जो देश की सरकार और सेना की आलोचनात्मक कवरेज के लिए जाने जाते थे, पर उनके इस्लामाबाद स्थित घर में तीन अज्ञात लोगों ने हमला किया, जिन्होंने उन्हें पीटा और उनके काम के बारे में चेतावनी दी।
शुक्रवार को इस्लामाबाद में हमले के विरोध प्रदर्शन में अपने भाषण में, मीर ने पाकिस्तान में पत्रकारों पर हालिया हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान करने की धमकी दी थी। उन्होंने इसके पीछे पाकिस्तानी सेना का हाथ होने की तरफ इशारा किया और पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा का भी नाम लिया।
मीर ने विरोध में सेना की संलिप्तता का हवाला देते हुए कहा, "अगर आप हम पर हमला करने के लिए हमारे घरों में घुस रहे हैं, तो ठीक है, हम आपके घरों में प्रवेश नहीं कर सकते, क्योंकि आपके पास टैंक और बंदूकें हैं, लेकिन हम आपके घरों के अंदर की चीजों को तो सार्वजनिक कर सकते हैं।"
इससे पहले 2014 में मीर पर दक्षिण-पश्चिमी बलूचिस्तान प्रांत में सेना द्वारा कथित अधिकारों के उल्लंघन पर केंद्रित कार्यक्रम के एक एपिसोड की मेजबानी करने के तुरंत बाद अज्ञात हमलावरों ने उन पर गोलीबारी की थी, जिसमें वे बच गए थे।
मीर को ऑफ-एयर किए जाने के जवाब में पाकिस्तान में रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) के प्रतिनिधि और मीडिया राइट्स ग्रुप फ्रीडम नेटवर्क के प्रमुख इकबाल खट्टक ने कहा, "स्पेस पूरी तरह सिकुड़ रहा है। वास्तव में, मैं कहूंगा कि ये खत्म हो रहा है। जब आप ड्यूटी पर नहीं होते हैं, तो आपको खुद को व्यक्त करने की भी अनुमति नहीं होती है।"
उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि हम सही साबित हुए हैं कि राज्य और सरकार कुछ मीडिया घरानों की संपादकीय स्वतंत्रता को प्रभावित करने के लिए दबाव डाल रहे हैं।"