Cancer: जब भी हम "जानलेवा बीमारी" का नाम सुनते हैं, दिमाग में सबसे पहले कैंसर का ख्याल आता है और क्यों न आए? ये एक खतरनाक बीमारी है जिससे हर साल लाखों जिंदगियां जाती हैं। वहीं भारत में कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और हर साल बड़ी संख्या में लोगों की जान ले रहे हैं। हाल ही में 2015 से 2019 तक के आंकड़ों के आधार पर किए गए स्टडी में सामने आया कि देश में अब हर 100 में से लगभग 11 लोगों को पूरे लाइफ में कभी न कभी कैंसर से पीड़ित होने की संभावना है। यह बढ़ती दर देश के लिए गंभीर चिंता का विषय बनती जा रही है।
नई स्टडी में हुआ डरावाना खुलासा
साल 2024 में भारत में करीब 15.6 लाख नए कैंसर के मामले सामने आए और इस बीमारी से लगभग 8.74 लाख लोगों की मौत हुई। हालांकि यह अध्ययन सिर्फ 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 10 से 18 प्रतिशत आबादी को शामिल करता है, लेकिन इससे कैंसर के रुझान, मृत्यु दर और अलग-अलग क्षेत्रों में इसके फर्क की अहम जानकारी मिली है। आंकड़ों में सामने आया कि कुल मामलों में से 51.1% महिलाएं थीं, जबकि अच्छी बात यह रही कि महिलाओं की मृत्यु दर 45% रही, जो पुरुषों की तुलना में कम है।
फेफड़ों और पेट का कैंसर सबसे ज्यादा
ICMR – नेशनल सेंटर फॉर डिजीज इन्फॉर्मेटिक्स एंड रिसर्च के निदेशक डॉ. प्रशांत माथुर ने बताया कि महिलाओं में करीब 40% कैंसर के मामले ब्रेस्ट एंड यूटरस से जुड़े होते हैं। अच्छी बात यह है कि इन दोनों का अक्सर शुरुआती चरण में पता चल जाता है, जिससे इलाज आसान हो जाता है और ठीक होने की संभावना भी ज्यादा रहती है। एम्स के कैंसर विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक शंकर के अनुसार पुरुषों में फेफड़ों और पेट का कैंसर ज्यादा देखा जाता है, लेकिन इनका शुरुआती चरण में पता लगाना कठिन होता है। यही वजह है कि अधिकतर मामलों का पता देर से चलता है और मृत्यु दर बढ़ जाती है। इसके उलट, महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का शुरुआती पहचान होना आसान है, क्योंकि गांठ जैसे लक्षण जल्दी दिख जाते हैं, जबकि फेफड़ों का कैंसर धीरे-धीरे बिना संकेत दिए बढ़ता रहता है, जिससे जांच और इलाज में देर हो जाती है।
तंबाकू और शराब बढ़ा रहे हैं ये बीमारी
भारत में पुरुषों में अब मुख कैंसर सबसे आम हो गया है और इसने फेफड़ों के कैंसर को पीछे छोड़ दिया है। हैरानी की बात यह है कि तंबाकू सेवन घटने के बावजूद ऐसा हो रहा है। आंकड़ों के मुताबिक, वयस्कों में तंबाकू का उपयोग 2009-10 में 34.6% से घटकर 2016-17 में 28.6% पर आ गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी बड़ी वजह शराब का बढ़ता सेवन है, जो सिर्फ लिवर ही नहीं बल्कि मुंह, गले, पेट और कोलन कैंसर का खतरा भी बढ़ाता है। तंबाकू और शराब दोनों का इस्तेमाल मिलकर इस खतरे को और गंभीर बना देता है।
इस राज्य में सबसे ज्यादा मरीज
भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में कैंसर के मामले बाकी हिस्सों की तुलना में सबसे ज्यादा पाए जाते हैं, खासकर महिलाओं में गर्भाशय ग्रीवा, फेफड़े और मुँह के कैंसर के मामले अधिक देखे जाते हैं। इसकी वजहों में पुरुषों और महिलाओं दोनों में तंबाकू का अधिक सेवन, पारंपरिक खाने की आदतें जैसे ज्यादा मसालेदार या स्मोक्ड मांस-मछली, और संक्रमण वाली बीमारियाँ जैसे एचपीवी, हेपेटाइटिस और हेलिकोबैक्टर पाइलोरी शामिल हैं, जो कैंसर का खतरा बढ़ाती हैं। मिज़ोरम में तो स्थिति और भी गंभीर है, जहां पुरुषों में 21.1% और महिलाओं में 18.9% पूरे लाइफ में कैंसर का जोखिम है, जो देश के औसत से लगभग दोगुना है।
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