क्यों आपकी जान का दुश्मन है कोलेस्ट्रॉल, अगर ये नहीं जानते तो हो जाइए अलर्ट

Cholesterol: हाई एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के लक्षण नहीं होते, लेकिन इसके परिणाम घातक हो सकते हैं। चाहे आप जिम जाते हों या नहीं, कोलेस्ट्रॉल की जांच जरूर कराएं, जानकारी रखें और डॉक्टर की सलाह अनुसार इलाज जारी रखें—तभी दिल रहेगा स्वस्थ

अपडेटेड Jul 07, 2025 पर 2:37 PM
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Cholesterol:अच्छा आहार, रेगुलर एक्सरसाइज के साथ टेंशन कंट्रोल करना भी जरूरी है।

पिछले कुछ साल में भारत में कार्डियक अरेस्ट और दिल की बीमारियां मौत के सबसे बड़े कारणों में से एक हैं। दिल की बीमारियों से होने वाली बीमारियों की वजह से मृत्यु दर करीब 7.8 फीसदी है। फिक्र की बात ये है कि हाई एलडीएल कोलेस्ट्रॉल जिसे बैड कोलेस्ट्रॉल भी कहा जाता है वह युवाओं में तेजी से बढ़ रहा है। युवाओं के लिए यह बिल्कुल साइलेंट किलर की तरह हो गया है।

क्यों इतना खतरनाक है कोलेस्ट्रॉल

न्यूज 18 के मुताबिक, इंदौर के अपोलो हॉस्पिटल की कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर सरिता राव ने बताया कि बैड कोलेस्ट्रॉल यानि LDL कोलेस्ट्रॉल धमनियों में जमा होकर प्लाक बना देता है, जिससे ब्लड फ्लो रुक जाता है। इससे एथेरोस्क्लेरोसिस और स्ट्रोक जैसी समस्याएं हो सकती हैं। सबसे बड़ी चिंता यह है कि हाई एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के कोई लक्षण नहीं होते। जब तक छाती में दर्द या कोई चेतावनी मिलती है, तब तक स्थिति गंभीर हो सकती है। इसलिए, एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को टारगेट स्तर तक लाना दिल की बीमारियों की रोकथाम के लिए जरूरी है।


भारतीयों को क्यों सतर्क रहना चाहिए?

पश्चिमी देशों की तुलना में भारतीयों में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल ज्यादा और ‘गुड’ कोलेस्ट्रॉल (HDL) कम पाया जाता है। इसीलिए डॉक्टर सलाह देते हैं कि 18 साल की उम्र से ही कोलेस्ट्रॉल की जांच शुरू कर देनी चाहिए, ताकि समय रहते खतरे की पहचान हो सके। कई बार सेहतमंद दिखने वाले लोग भी बैड कोलेस्ट्रॉल से ग्रसित हो सकते हैं।

दिल्ली के रमन बताते हैं, “मैं रेगुलर वर्कआउट करता हूं और हेल्दी खाता हूँ, लेकिन रूटीन टेस्ट में हाई LDL निकला। डॉक्टर ने बताया कि इसके कई कारण हो सकते हैं और दवा के साथ स्वस्थ जीवनशैली जरूरी है।”

सिर्फ खानपान काफी नहीं

लेकिन कई बार ये भी पर्याप्त नहीं होते। डॉक्टरों के अनुसार, अगर आपके एलडीएल स्तर टारगेट से ऊपर हैं, तो दवा शुरू करने में देरी नहीं करनी चाहिए। हर मरीज की स्थिति अलग होती है—उम्र, पारिवारिक इतिहास, डायबिटीज, या पहले हृदय रोग जैसी बातें इलाज को प्रभावित करती हैं। इसलिए, सबका ट्रीटमेंट का प्लान अलग होता है।

भारत में केवल 60% मरीज ही नियमित दवा लेते हैं, जो चिंता की बात है। गलतफहमियों के चलते कई लोग दवा बीच में छोड़ देते हैं, जिससे एलडीएल फिर बढ़ जाता है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ता है। तनाव, नींद की कमी और मेटाबॉलिक असंतुलन भी एलडीएल बढ़ा सकते हैं, क्योंकि ये शरीर में सूजन बढ़ाते हैं और कोलेस्ट्रॉल उत्पादन को ट्रिगर करते हैं।

जब लाइफस्टाइल ठीक करने से भी बात ना बनें

जिन मरीजों पर सामान्य दवाओं का असर नहीं होता उनके लिए अब एडवांस थेरेपी जैसे PCSK9 इनहिबिटर्स, siRNA थेरेपी या Inclisiran उपलब्ध हैं। जो  LDL  लेवल घटाने में मदद करती है।

डिस्क्लेमर: यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

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First Published: Jul 07, 2025 2:37 PM

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