डायबिटीज के मरीज दुनियाभर में तेजी से फैल रहे हैं। करोड़ों की तादाद में लोग इस बीमारी के शिकार हो रहे हैं। डायबिटीज से परेशान लोगों को ब्लड शुगर बढ़ जाता है। जिसे जिंदगी भर कंट्रोल करने की जरूरत रहती है। डायबिटीज किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है। जिन लोगों में अत्यधिक मोटापा रहता है। डायबिटीज के मरीजों का अगर कीटोंस लेवल हाई हो जाए तो यह एक चिंता की बात है। शरीर में कीटोन का लेवल तब हाई हो जाता है जब इंसुलिन धीरे-धीरे कम होने लगता है। जिसके कारण टाइप-1 डायबिटीज के मरीज में कीटोन्यूरिया की समस्या बढ़ जाती है।
जब हमारा शरीर ऊर्जा के लिए कार्बोहाइड्रेट के जगह फैट और प्रोटीन का इस्तेमाल करता है, तो ऐसी स्थिति में शरीर में एक केमिकल बनता है। जिसे कीटोन कहा जाता है। ये कीटोन टॉयलेट के जरिए शरीर से बाहर निकल जाते हैं, लेकिन कई बार यूरिन में इनकी मात्रा बढ़ जाती है। इससे गंभीर स्थिति कीटोन्यूरिया पैदा होती है। इससे डायबिटीज कीटोएसिडोसिस भी हो सकता है।
जब टॉयलेट में कीटोन की मात्रा ज्यादा बनने लगती है तो इस पूरी स्थिति को कीटोन्यूरिया कहा जाता है। कीटोंस लिवर में बनता है। यह तीन तरह के होते हैं एसीटोएसिटेट, β-हाइड्रॉक्सीब्यूटाइरेट, और एसीटोन। यूरिन में किटोंस की मात्रा बढ़ने लगती है जब शरीर में एनर्जी के लिए शरीर के बेकअप यानी फैट और प्रोटीन सेल्स तोड़ने लगता है। डायबिटीज मरीज को यह समस्या खत्म करने की जरूरत है। जिसके कारण शरीर में फैट और प्रोटीन की कमी होने लगती है। इसमें इंसुलिन कम हो जाता है। ऐसे में इंसुलिन की कमी से टाइप 1 डायबिटीज के मरीज को कीटोन्यूरिया होने का खतरा रहता है।
कीटोंस का लेवल कब बढ़ता है?
ज्यादा लंबे समय तक भूखे रहनें से, कम खाना खाने से, शरीर में फैट, कार्बोहाइड्रेट, स्टार्च और ग्लूकोज की मात्रा कम होने से कई बार प्रेगनेंसी में भी या फिर फास्टिंग के कारण भी यूरिन में कीटोन बढ़ने लगते हैं। डायबिटीज कंट्रोल नहीं है तो कीटोन्यूरिया का कारण हो सकती है। टाइप 1 डायबिटीज में शरीर बहुत ही कम मात्रा में इंसुलिन बनाता है। जिससे शरीर खुद ही प्रोटीन्स को तोड़कर कीटोन्स बनाने लगता है।
इसमें प्यास लगना, मतली, डिहाईड्रेशन, बार-बार पेशाब लगना, सांस लेने में पेरशानी, आंखों की पुतलियों को फैलना, जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं।
कीटोन्यूरिया से कैसे बचें
शरीर में ब्लड ग्लूकोज लेवल को कंट्रोल रखें। इंसुलिन लेने वाले सही समय पर इंसुलनि लें। ज्यादा देर तक भूखे रहने से बचाव करना चाहिए। अपने ब्लड शुगर लेवल को हमेशा कंट्रोल रखें।