इंसुलिन रेजिस्टेंस एक ऐसा स्वास्थ्य संकट है, जो धीरे-धीरे शरीर को टाइप-2 डायबिटीज की ओर धकेल सकता है, लेकिन कई लोग इसके शुरुआती संकेतों को नजरअंदाज कर देते हैं। ये स्थिति तब उत्पन्न होती है जब शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन हार्मोन के प्रति कम संवेदनशील हो जाती हैं। इंसुलिन का मुख्य कार्य होता है रक्त में मौजूद ग्लूकोज को शरीर की कोशिकाओं तक पहुंचाना, जिससे हमें ऊर्जा मिलती है। लेकिन जब इंसुलिन अपना काम ठीक से नहीं कर पाता, तो खून में शुगर जमा होने लगती है। ये केवल डायबिटीज ही नहीं, बल्कि मोटापा, हृदय रोग और हार्मोनल असंतुलन जैसी समस्याओं का कारण भी बन सकती है।
हैरानी की बात ये है कि इंसुलिन रेजिस्टेंस की शुरुआत अक्सर बिना किसी स्पष्ट लक्षण के होती है, लेकिन सही समय पर पहचान और जीवनशैली में बदलाव लाकर इसे रोका जा सकता है। Hydration यानी सही मात्रा में पानी पीना इसमें अहम भूमिका निभा सकता है।
पानी और इंसुलिन का कनेक्शन
कई स्टडीज में ये पाया गया है कि अच्छी मात्रा में पानी पीना इंसुलिन की कार्यप्रणाली को बेहतर बना सकता है। जब शरीर में पानी की कमी होती है, तो वेसोप्रेसिन नामक हार्मोन बनता है जो ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करता है। इससे ब्लड शुगर नियंत्रण में मुश्किल होती है।
डिहाइड्रेशन से बढ़ सकती है शुगर
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि शरीर में पानी की कमी ब्लड शुगर को बढ़ा सकती है। एक रिसर्च में पाया गया कि जब स्वस्थ लोगों ने पानी का सेवन बढ़ाया, तो उनके ब्लड ग्लूकोज लेवल में गिरावट आई।
पानी से किडनी को मिलता है सहारा
अच्छी हाइड्रेशन से किडनी बेहतर तरीके से काम करती है और अतिरिक्त ग्लूकोज को शरीर से बाहर निकालने में मदद करती है। इससे शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है, खासकर उन लोगों के लिए जो इंसुलिन रेजिस्टेंस से जूझ रहे हैं।
यू.एस. इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन के अनुसार पुरुषों को रोज़ाना करीब 3.7 लीटर और महिलाओं को 2.7 लीटर तरल पदार्थ लेना चाहिए। इसमें से आधी मात्रा शुद्ध पानी से आनी चाहिए। मीठे या आर्टिफिशियल ड्रिंक्स से बचें।
भूख को भी करता है कंट्रोल
पानी पीने से भूख के संकेत और प्यास के संकेतों के बीच का भ्रम दूर होता है। सुबह उठते ही एक गिलास पानी और दिनभर में थोड़ा-थोड़ा पानी पीने से ओवरईटिंग कम हो सकती है, जिससे वजन नियंत्रण में रहता है।
डिहाइड्रेशन से कैसे बिगड़ता है शुगर लेवल
जब शरीर में पानी की कमी होती है, तो वेसोप्रेसिन हार्मोन अधिक बनने लगता है। ये हार्मोन लिवर और पैंक्रियास पर असर डालकर ब्लड शुगर को बढ़ा सकता है।
हाइड्रेशन और लाइफस्टाइल का तालमेल
केवल पानी पीने से इंसुलिन रेजिस्टेंस पूरी तरह नहीं सुधरता। इसके लिए हेल्दी डाइट, रेगुलर एक्सरसाइज और डॉक्टर की सलाह के साथ मिलकर प्रयास करना जरूरी है।
पेशाब का रंग हल्का पीला हो तो समझिए आप हाइड्रेटेड हैं। अगर सादा पानी पसंद न हो, तो उसमें फल के टुकड़े डालकर स्वाद बढ़ाया जा सकता है। थोड़ी-थोड़ी मात्रा में दिनभर पानी पीना भी फायदेमंद होता है।
डिस्क्लेमर: यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।